Kanwar Yatra Row: योगी सरकार के आदेश पर भड़के शंकराचार्य, यूपी उप-चुनाव से पहले बोले- आप तो...
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, आपको अचानक से इस तरह का नियम नहीं लाना चाहिए था. सरकार को सुझाव देते हुए वह आगे बोले कि पहले कोई शिक्षा का वर्ग चलाया जाना चाहिए था. कांवड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए था.
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View In Appअविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अनुसार, कांवड़ियों को समझाया जाना चाहिए था कि शास्त्र के अनुसार पवित्रता की जरूरत होती है लेकिन आप तो डीजे बजवा रहे हैं. आप तो उन्हें उछलवा रहे हैं और कुदवा (नाच-गाने के संदर्भ में) रहे हैं. ऐसी परिस्थिति में कांवड़ियों की धार्मिक भावना कैसे आएगी. हमें ऐसे लगता है कि इस तरह का नियम बनाने से विद्वेष फैलेगा.
शंकराचार्य ने कहा, हमारी सोच पर बहुत सारे हिंदू कहेंगे कि हम कैसी बात कर रहे है लेकिन जो सच है वही तो कहेंगे. हम कैसे कह दें कि यह (सरकार का नियम) सही है? आप जब हिंदू-मुसलमान की भावना तेज करेंगे तब लोगों में भेद आ जाएगा. हर समय वे चीजों को हिंदू-मुसलमान की दृष्टि से देखेंगे और उनमें कड़वाहट आएगी और टकराव पैदा होगा.
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती बोले, आज लोगों की समझ ऐसी हो गई कि वे कहीं भी खा रहे हैं. वे सोचते ही नहीं कि किसने उसे और किस भावना से बनाया है. पहले लोग विचार करते थे. आम हिंदू अब यह विचार नहीं करता है. चूंकि, लोगों को इस बारे में जागरूकता नहीं दी गई है, इसलिए ऐसा हो रहा है. आपको इसके लिए वातावरण बनाना जरूरी है.
सुझाव देते हुए शंकराचार्य ने आगे कहा, नोटबंदी से कितनी परेशानी हुई थी! ऐसे में कोई भी चीज अचानक कर देना ठीक नहीं है. पहले वातावरण बनाया जाना चाहिए था, समझाइश दी जानी चाहिए थी और फिर करना चाहिए था. क्या सरकार हिंदुओं को लंगर लगाने के लिए प्रभावित नहीं कर सकती थी? क्या सरकार के कहने पर कांवड़ियों के लिए समाज के लोग आगे नहीं आ जाते?
सरकार के फैसले पर सवाल खड़े करते हुए शंकराचार्य ने कहा, जिन्होंने इस नियम को अचानक लागू किया है, कहीं न कहीं राजनीति उनके मन में है. जो इसकी व्याख्या इस तरह से कर रहे हैं, वह भी तो राजनीति कर रहे हैं. बांटने का काम दोनों कर रहे हैं. अच्छी व्याख्या करने के लिए विपक्ष को आना चाहिए. ऐसी परिस्थिति में संभालना किसी को नहीं है. सबको दिमाग में जहर बोना है. यह बांटो और राज करो की नीति है.
दरअसल, यूपी ने सावन से पहले एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों को मालिकों के नाम दर्शाने होंगे. पहले यह नियम मुजफ्फरनगर पुलिस के लिए था, जबकि बाद में प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य के लिए विस्तारित कर दिया.
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