इंदिरा गांधी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक, पहले भी सरकार करवा चुकी हैं समय से पहले लोकसभा चुनाव
मौजूदा 17वीं लोकसभा का कार्यकाल मई 2024 तक है. ऐसे में सभी राजनीतिक धुरंधर कयास लगा रहे हैं कि एनडीए की सरकार पहले चुनाव कराने का फैसला ले सकती है. अगर ऐसा होता है तो यह पहली बार नहीं होगा. इससे पहले भी कई बार लोकसभा भंग कर आम चुनाव हो चुका हैं.
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View In App1971 की शुरुआत में इंदिरा गांधी नें समय से पहले लोकसभा भंग कर चुनाव कराने की सिफारिश की थी.उस समय कांग्रेस और लेफ्ट की अल्पमत की सरकार थी. समय से पूर्व हुए पांचवी लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी की अगुवाई में कांग्रेस को 352 सीटों के साथ भारी बहुमत हासिल हुई थी.
इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को हत्या के बाद राजीव गांधी को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया था. राजीव गांधी ने इसी साल नवंबर में लोकसभा भंग कर दिया था, जिसके बाद समय से पहले चुनाव करावाया गया था.आठवीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इंदिरा गांधी की मौत की वजह से लोगों ने जमकर वोट दिए. राजीव गांधी की अगुवाई में पार्टी को अबतक का सबसे ज्यादा 414 सीट मिली थी.
साल 1999 में बहुमत से जीत के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने भी 2004 में समय से पहले चुनाव कराया था. कहा जाता है कि आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के दबाव उस समय के पीएम वाजपेयी ने समय से पूर्व चुनाव कराया था. हालांकि, ये चुनाव उनके पक्ष मे नहीं रहा था. लोगों ने 14वीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बीजेपी से अधिक सीटें मिली थी.
अब कयास लग रहे हैं कि पीएम मोदी भी समय से पहले 2024 का चुनाव करवा सकते हैं. कई लोगों का तो दावा भी है कि बीजेपी ने दिसंबर तक सारे राज्यों में होटल और काफी संख्या में हेलीकॉप्टर बुक करवा रखे हैं. साथ ही एकजुट विपक्ष की बढ़ती तादाद भी एनडीए पर ऐसा करने का दबाव बना रही हैं.
राष्ट्रपति लोकसभा को भंग कर नए सिरे से चुनाव कराने का आदेश जारी कर सकते हैं. अगर प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को समय से पहले लोकसभा भंग कर चुनाव कराने की सिफारिश करें तो. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 85 के तहत केवल राष्ट्रपति के पास प्रधानमंत्री की सलाह पर लोकसभा को भंग करने की शक्ति है.
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