Elections 2024: यूपी-हरियाणा से लेकर राजस्थान तक, खामोशी के बाद अब क्यों उठ रहा सियासी तूफान!
इलेक्शन रिजल्ट्स के बाद बीजेपी अंदरखाने में जश्न से ज्यादा खामोशी नजर आई. ऐसा इसलिए क्योंकि कई राज्यों में उसकी सीटें और वोट शेयर कम हो गया. जिस यूपी को सत्ता के लिहाज से बेहद अहम माना जाता है, वहां बीजेपी की सीटें 62 से गिरकर 33 हो गईं. सीधे तौर पर उसे वहां 29 सीटों का नुकसान हुआ.
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View In Appलोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को यूपी के अलावा राजस्थान में 10 सीटों, हरियाणा और बिहार में पांच-पांच सीटों के साथ पंजाब में दो सीटों का नुकसान हुआ. चुनावी हार के बाद बीजेपी के कई नेताओं ने पार्टी की नीतियों की आलोचना की और कमियां उजागर करने से जुड़े बयान दिए. ऐसे नेताओं की एक फेहरिस्त है.
बीजेपी नेताओं की ओर से इस तरह के बयानों की वजह से सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई कि कहीं बीजेपी में अब दो-फाड़ या टूट वाली स्थिति तो नहीं आ गई. बाद में आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने भी बिना पार्टी का नाम लिए अहंकार शब्द इस्तेमाल किया. फिर संघ से जुड़े हुए इंद्रेश कुमार ने भी बीजेपी को घेरा.
आरएसएस के दो बड़े नेताओं की ओर से भगवान राम का जिक्र करते हुए बीजेपी को घेरने से जुड़े स्टेटमेंट्स के सियासी गलियारों में कई मायने निकाले गए. यह सारा घटनाक्रम तब देखने को मिला है, जब महाराष्ट्र में भी अजीब राजनीतिक परिस्थिति उबर रही है. वहां भी सियासी खटपट के साफ संकेत देखने को मिले हैं.
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे बोले ने कहा कि बीजेपी का 400 पार वाला नारा पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हुआ. विपक्ष ने उसे संविधान बदलने से जोड़ा. इस बीच, शिवसेना के प्रताप राव जाधव ने दावा किया उद्धव ठाकरे गुट वाली शिवसेना के पांच से छह सांसद उनके संपर्क में हैं. वे आगे उनके साथ आ सकते हैं.
ऐसे में सवाल उठने लगा कि क्या असली शिवसेना और कथित नकली शिवसेना एक हो जाएंगी. दोनों ने कुल मिलाकर इस बार 16 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की. शिंदे गुट वाली शिवसेना को सात सीटें मिलीं, जबकि उद्धव ठाकरे के खेमे वाली ने नौ लोकसभा सीटें हासिल कीं. अगर ये एक हुईं तब सूबे में बीजेपी को झटका लगेगा.
एनसीपी (अजित पवार गुट) को मांग के हिसाब से मंत्रालय (केंद्रीय) नहीं मिला. आशंका है कि जब कुछ मिलेगा नहीं तब क्या पार्टियां घर वापसी करने लगेंगी? चूंकि, महाराष्ट्र में आगे विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में शिवसेना और एनसीपी के दोनों खेमे नए और बेहद रोचक सियासी समीकरण पैदा कर सकते हैं.
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