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Lok Sabha Elections 2024: सीएम योगी के गढ़ गोरखपुर में किसका गेम पलटेगा मायावती का ये मुस्लिम उम्‍मीदवार?

Gorakhpur Lok Sabha Seat: गोरखपुर लोकसभा सीट काफी चर्चा में चल रही है. यहां पर भाजपा से रवि किशन, समाजवादी पार्टी से काजल निषाद और बसपा से जावेद सिमनानी को उम्मीदवार बनाया गया है.

Gorakhpur Lok Sabha Seat: गोरखपुर लोकसभा सीट काफी चर्चा में चल रही है. यहां पर भाजपा से रवि किशन, समाजवादी पार्टी से काजल निषाद और बसपा से जावेद सिमनानी को उम्मीदवार बनाया गया है.

गोरखपुर से मायावती ने जावेद सिमनानी को बनाया बसपा उम्मीदवार

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लोकसभा चुनाव 2024 का 6 चरण पूरे हो चुके हैं और सातवां अंतिम चरण बाकी है, जिनके परिणाम 4 जून को जनता के सामने होंगे. सभी पार्टियां अपना शक्ति प्रदर्शन कर रही है.
लोकसभा चुनाव 2024 का 6 चरण पूरे हो चुके हैं और सातवां अंतिम चरण बाकी है, जिनके परिणाम 4 जून को जनता के सामने होंगे. सभी पार्टियां अपना शक्ति प्रदर्शन कर रही है.
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उत्तर प्रदेश की गोरखपुर लोकसभा सीट काफी चर्चा में चल रही है. यहां पर भाजपा से रवि किशन चुनावी मैदान में उतरे हैं. समाजवादी पार्टी से काजल निषाद चुनाव लड़ रही है, लेकिन खास बात यह नहीं है, खास तो यह है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस सीट से जावेद सिमनानी को उम्मीदवार बनाया है.
उत्तर प्रदेश की गोरखपुर लोकसभा सीट काफी चर्चा में चल रही है. यहां पर भाजपा से रवि किशन चुनावी मैदान में उतरे हैं. समाजवादी पार्टी से काजल निषाद चुनाव लड़ रही है, लेकिन खास बात यह नहीं है, खास तो यह है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस सीट से जावेद सिमनानी को उम्मीदवार बनाया है.
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उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के गढ़ में बसपा सुप्रीमो द्वारा जावेद सिमनानी को मैदान-ए-जंग में उतारने के पीछे आखिर क्या समीकरण बनाएं गए हैं.
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के गढ़ में बसपा सुप्रीमो द्वारा जावेद सिमनानी को मैदान-ए-जंग में उतारने के पीछे आखिर क्या समीकरण बनाएं गए हैं.
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जावेद सिमनानी का पूरा परिवार मायावती की पार्टी बसपा से जुड़ा हुआ है और लगभग बीते 45 साल से वह राजनीति में हैं. गोरखपुर के नखास चौक पर ख्वाजा गरीब नवाज के नाम की प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाले जावेद सिमनानी पिछले 25 सालों से बसपा से जुड़े हुए हैं.
जावेद सिमनानी का पूरा परिवार मायावती की पार्टी बसपा से जुड़ा हुआ है और लगभग बीते 45 साल से वह राजनीति में हैं. गोरखपुर के नखास चौक पर ख्वाजा गरीब नवाज के नाम की प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाले जावेद सिमनानी पिछले 25 सालों से बसपा से जुड़े हुए हैं.
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जावेद सिमनानी इसके पहले सपा के जियाउल इस्लाम के खिलाफ पर पार्षदी का चुनाव लड़ चुके हैं, हालांकि उस चुनाव में जावेद सिमनानी को हर का सामना करना पड़ा था.
जावेद सिमनानी इसके पहले सपा के जियाउल इस्लाम के खिलाफ पर पार्षदी का चुनाव लड़ चुके हैं, हालांकि उस चुनाव में जावेद सिमनानी को हर का सामना करना पड़ा था.
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बसपा में बूथ अध्यक्ष के पद से राजनीति की शुरुआत करने वाले जावेद सिमनानी को बसपा ने लोकसभा सीट का उम्मीदवार कैसे बना दिया यह सवाल हर किसी के मन में आ रहा है. गोरखपुर सीट से रवि किशन एक बार फिर भाजपा के प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतरे हैं तो वहीं समाजवादी पार्टी ने काजल निषाद को टिकट दिया है.
बसपा में बूथ अध्यक्ष के पद से राजनीति की शुरुआत करने वाले जावेद सिमनानी को बसपा ने लोकसभा सीट का उम्मीदवार कैसे बना दिया यह सवाल हर किसी के मन में आ रहा है. गोरखपुर सीट से रवि किशन एक बार फिर भाजपा के प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतरे हैं तो वहीं समाजवादी पार्टी ने काजल निषाद को टिकट दिया है.
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गोरखपुर में चार लाख से ज्यादा निषाद वोटर है, जबकि 3 लाख राजपूत और ब्राह्मण वोटर है. इस सीट पर दो लाख दलित वोटर हैं और डेढ़ लाख से ज्यादा मुस्लिम वोटर भी हैं.
गोरखपुर में चार लाख से ज्यादा निषाद वोटर है, जबकि 3 लाख राजपूत और ब्राह्मण वोटर है. इस सीट पर दो लाख दलित वोटर हैं और डेढ़ लाख से ज्यादा मुस्लिम वोटर भी हैं.
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क्योंकि इस सीट पर 2 लाख दलित वोटर हैं और डेढ़ लाख से ज्यादा मुस्लिम वोटर है, यही सोचकर मायावती ने गोरखपुर सीट से जावेद सिमनानी को मैदान-ए-जंग में उतारा है. यानी कि मायावती ने इस सीट से दलित और मुस्लिम वोटर को साधने की कोशिश की है. कहा जा रहा है कि राजपूत और ब्राह्मण वोटर बीजेपी के साथ जाने वाले हैं.
क्योंकि इस सीट पर 2 लाख दलित वोटर हैं और डेढ़ लाख से ज्यादा मुस्लिम वोटर है, यही सोचकर मायावती ने गोरखपुर सीट से जावेद सिमनानी को मैदान-ए-जंग में उतारा है. यानी कि मायावती ने इस सीट से दलित और मुस्लिम वोटर को साधने की कोशिश की है. कहा जा रहा है कि राजपूत और ब्राह्मण वोटर बीजेपी के साथ जाने वाले हैं.
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वहीं समाजवादी पार्टी ने काजल निषाद को उतारकर निषाद और मुस्लिम वोटर्स को साधा है, लेकिन बीजेपी ने संजय निषाद को साथ लाकर निषाद वोटरों पर भी सेंध लगा दी है. इस सीट पर भाजपा भी मुस्लिम वोटर को साधने की पूरी मशक्कत कर रही है, लेकिन अब देखना यह है की जीत किसके खेमे में जाती है
वहीं समाजवादी पार्टी ने काजल निषाद को उतारकर निषाद और मुस्लिम वोटर्स को साधा है, लेकिन बीजेपी ने संजय निषाद को साथ लाकर निषाद वोटरों पर भी सेंध लगा दी है. इस सीट पर भाजपा भी मुस्लिम वोटर को साधने की पूरी मशक्कत कर रही है, लेकिन अब देखना यह है की जीत किसके खेमे में जाती है

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