Lok Sabha Elections 2024: क्या आजमगढ़ का किला फिर से फतह कर पाएगी सपा? मुस्लिम नेताओं की हलचल से बदले समीकरण
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2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की थी. 2024 में एक बार फिर सपा की इस सीट पर निगाहें हैं.
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समाजवादी पार्टी ने इस बार धर्मेंद्र यादव को यहां से मैदान में उतारा है. जिन्हें 2022 में आजमगढ़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने हराया था.
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2014 में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और 2019 में पार्टी प्रमुख अखिलेश ने इस सीट से जीत हासिल की थी. आजमगढ़ सीट पर मुसलमानों और यादवों की संख्या अधिक है. यादवों की आबादी 21%, दलितों की 20% और मुसलमानों की 17% है.
2022 के उपचुनाव में जब यह सीट सपा के हाथों से खिसकी तो सपा ने हार की वजह मुस्लिम वोटों का बंटना बताया था. सपा का मानना है कि उपचुनाव धर्मेंद्र यादव की हार का कारण बसपा प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली थे. जिस वजह से मुस्लिम वोट बंट गया था. हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 में गुडडू जमाली सपा के साथ हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आजमगढ़ में निरहुआ के समर्थन में चुनाव प्रचार किया. उनके भाषणों में आतंकवादी हमलों के साथ क्षेत्र के विकास पर फोकस रहा.
आजमगढ़ लोकसभा सीट पर 25 मई को मतदान होना है सपा ने फिर से धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा है. जबकि बीजेपी ने वर्तमान सांसद निरहुआ को टिकट दिया है. वहीं, बसपा ने मशहुद अहमद को मैदान में उतारा है.
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