Parliament House: संसद में गांधी-अंबेडकर की मूर्तियां कर दी गईं किनारे! कांग्रेस चीफ का बड़ा आरोप- मनमाने ढंग से...
कांग्रेस अध्यक्ष बोले संसद परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और संविधान के जनक डॉ.बाबासाहेब अंबेडकर समेत कई महान नेताओं की मूर्तियों को उनके स्थानों से हटाकर अलग कोने में स्थापित कर दिया गया है.
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View In Appमल्लिकार्जुन खरगे के मुताबिक, बिना किसी परामर्श के मनमाने ढंग से इन मूर्तियों को हटाना हमारे लोकतंत्र की मूल भावना का उल्लंघन है.
कांग्रेस प्रमुख बोले कि हर प्रतिमा और संसद में उनका स्थान मायने रखता है. पुरानी संसद के ठीक सामने ध्यान मुद्रा में महात्मा गांधी की प्रतिमा भारत की लोकतांत्रिक राजनीति के लिए अत्यधिक महत्व रखती है. यह वह स्थान है, जहां सदस्य अक्सर शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन करते थे. डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा भी एक सुविधाजनक स्थान पर रखी गई थी, जो यह संदेश देती है कि बाबासाहेब सांसदों की पीढ़ियों को भारत के संविधान में निहित मूल्यों और सिद्धांतों को दृढ़ता से बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, संयोग से 60 के दशक के बीच में छात्र जीवन के दौरान मैं संसद के परिसर में बाबा साहेब की प्रतिमा स्थापित करने की मांग में सबसे आगे था. ऐसे ठोस प्रयासों के परिणामस्वरूप अंतत: डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित की गई. यहां बाबासाहेब की प्रतिमा पर उनके जन्म और मृत्यु की वर्षगांठ पर उन्हें श्रद्धांजलि देने वाले लोगों की निर्बाध आवाजाही में भी सुविधा थी. यह सब अब मनमाने और एकतरफा तरीके से खत्म कर दिया गया है.
कांग्रेस चीफ के अनुसार, संसद में राष्ट्रीय नेताओं और सांसदों के चित्रों और मूर्तियों को स्थापित करने के लिए एक समिति है. इसमें दोनों सदन के सांसद शामिल होते हैं पर लेकिन साल 2019 के बाद से समिति का पुनर्गठन नहीं किया गया है.
पूरे संसद भवन में लगभग 50 मूर्तियां या आवक्ष प्रतिमाएं हैं. उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार (16 जून, 2024) को संसद भवन परिसर में प्रेरणा स्थल का लोकार्पण किया.
प्रेरणा स्थल के तहत महापुरुषों की प्रतिमा को एक स्थान पर सम्मानपूर्वक तरीके से स्थापित किया गया है, जिनमें महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय, बिरसा मुंडा, डॉ भीमराव अंबेडकर, महाराणा प्रताप, शिवाजी महाराज समेत कई महापुरुषों की मूर्तियां हैं.
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