चकरघिन्नी जैसा हुआ NDA का हाल, अब चुनावी राज्य में पार्टनर का कदम कर देगा बेहाल?
चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास गुट) के बाद एक और सहयोगी दल ने बीजेपी को उलझन में डाल दिया है.
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View In Appमहाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे के करीबी और शिवसेना सांसद संदीपनराव भुमरे ने बिन मांगे ही एनडीए को वो सलाह दे दी, जिसकी हर जगह चर्चा है.
संदीपनराव भुमरे बोले कि वक्फ बोर्ड संशोधन बिल आम सहमति से आए. मुसलमानों को भी चर्चा में शामिल किया जाए. उनकी भी सहमति ली जाए.
शिवसेना सांसद का यह बयान तब आया है जब कुछ समय पहले संसद में एकनाथ शिंदे के सांसद बेटे श्रीकांत शिंदे ने दल के समर्थन की पुष्टि की थी.
श्रीकांत शिंदे ने वफ्फ बोर्ड बिल पर डिबेट के दौरान कहा था, इस बिल को कुछ लोग (विपक्षी दल) सिर्फ मुद्दा पॉलिटिसाइज करने का काम कर रहे हैं.
एनडीए के घटक की ओर से पहले हामी और अब एक तरह की हिदायत से कंफ्यूजन की स्थिति पनप गई है. सियासी गलियारों में भी इसपर चर्चा गर्म है.
एक्सपर्ट्स ताजा घटनाक्रम को इस नजर से देख रहे हैं की कहीं ये एनडीए के बाकी दलों की तरह वो स्टैंड तो नहीं है, जिसमें खुलकर विरोध नहीं करना है.
यह पूरा घटनाक्रम इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि पिछले 10 साल में तीसरी सरकार में पहली बार कोई बिल जेपीसी के पास भेजने की नौबत आई.
टीडीपी और लोजपा ने वक्फ बोर्ड बिल का विरोध तो नहीं किया था मगर सरकार को इसे जेपीसी (21 सांसदों की) के पास भेजने के लिए जरूर कहा था.
जेपीसी यानी जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी है, जिसे संसद किसी खास मुद्दे/बिल की गहराई से जांच के लिए बनाती है. इसमें सभी दलों की भागीदारी होती है.
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