UN की नौकरी छोड़ क्यों इंडियन पॉलिटिक्स के दलदल में चले आए PK? ऐसी है चुनावी चाणक्य की कहानी
चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने आज अपनी पार्टी जन सुराज का लॉन्च कर दिया है. अभी तक हमने जन सुराज के क्या एजेंडे होंगे और क्या चैलेंजेस पर बात की लेकिन क्या आप उनके परिवार के बारे में जानते हैं? हम बताते हैं...
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View In Appप्रशांत किशोर वैसे तो बिहार के रोहतास जिले के कोनार गांव से ताल्लुक रखते हैं. उनके परिवार में उनके पिता डॉक्टर रहे हैं. न केवल पिता बल्कि प्रशांत किशोर की पत्नी भी डॉक्टर है. उनका एक बेटा भी है.
प्रशांत किशोर ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उनके पिता दिवंगत श्रीकांत पांडे एक डॉक्टर थे. उनके पिता की जहां-जहां पोस्टिंग होती थी वहां वहां की सरकारी स्कूलों में प्रशांत किशोर ने पढ़ाई की. पीके ने पटना के साइंस कॉलेज फिर हिंदू कॉलेज में पढ़ाई की, लेकिन तबीयत खराब हुई और वह वापस लौट आए, लेकिन लखनऊ से उन्होंने अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की.
प्रशांत किशोर ने सिर्फ भारत में ही पढ़ाई नहीं की बल्कि वह अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका में भी रहे. उन्होंने बताया कि वह हर 2 साल पर पढ़ाई छोड़ देते थे उन्होंने 12वीं के बाद 3 साल तक गैप लिया फिर ग्रेजुएशन के बाद 2 साल तक पढ़ाई छोड़ दी. जैसे तैसे करके उनको यूएन में नौकरी मिली.
प्रशांत किशोर की पत्नी के बारे में बात करें तो उनका नाम जाह्नवी दास है. असम से ताल्लुक रखती है और पेशे से डॉक्टर हैं. प्रशांत और उनकी पत्नी की मुलाकात यूएन के एक हेल्थ प्रोग्राम के दौरान हुई थी. दोनों के बीच मुलाकात दोस्ती में बदली फिर प्यार हुआ और कुछ ही समय बाद दोनों ने शादी कर ली. दोनों का एक बेटा भी है. जाह्नवी इस समय पति प्रशांत किशोर और अपने बेटे के साथ बिहार में ही रहती है.
2014 में पीएम मोदी की सरकार बनी, जिसके बाद पीके ने नीतीश कुमार के पॉलिटिकल कैंपेन की जिम्मेदारी संभाली. नीतीश कुमार जैसे ही चुनाव में जीते उन्होंने प्रशांत किशोर को अपना सलाहकार बना लिया. इसके बाद 2016 में कांग्रेस ने पंजाब चुनाव के लिए पीके को हायर किया लगातार दो बार हारने के बाद कांग्रेस वापस सत्ता में आई. पंजाब के बाद कांग्रेस ने यूपी चुनाव के लिए भी पीके को हायर किया था, लेकिन यहां पर उन्हें असफलता ही हाथ लगी.
साल 2017 में ही जगनमोहन रेड्डी ने पीके को अपना सलाहकार बनाया. पीके ने उनके लिए चुनावी अभियानों की सीरीज डिजाइन की और वाईएसआरसीपी 175 में से 151 सीटें जीतकर सत्ता में लौटी. इसके बाद 2020 में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए पीके को हायर किया. यहां आम आदमी पार्टी भारी बहुमत से जीती.
उसके बाद साल 2021 में तृणमूल कांग्रेस के सलाहकार के रूप में पीके ने काम किया, जहां ममता बनर्जी को 294 में से 213 सीटों पर जीत दिलाई. ठीक इसी तरह साल 2021 में प्रशांत किशोर ने डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन के रणनीतिकार के रूप में काम किया. पार्टी ने 159 सीटें जीती और एमके स्टालिन पहली बार तमिलनाडु में सीएम बने
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