Rajiv Gandhi 33rd Death Anniversary: ‘लिट्टे’ के एक धमाके से दहल गया था इंडिया, राजीव गांधी को मारने के लिए तब चुनी गई थीं तीन औरतें
पुण्यतिथि के मौके पर राजधानी दिल्ली में राजीव गांधी के परिजन उनके समाधि स्थल वीर भूमि पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी.
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View In Appचुनावी माहौल और चिलचिलाती गर्मी के बीच राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी (कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष) और बेटे राहुल गांधी (केरल के वायनाड से पार्टी सांसद) वहां पहुंचे. उनके साथ इस दौरान कांग्रेस के चीफ मल्लिकार्जुन खरगे भी थे.
गांधी परिवार से जो लोग वीर भूमि पहुंचे थे, उनमें प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा भी शामिल थे.
समाधि स्थल पर न सिर्फ सोनिया गांधी और राहुल गांधी जज्बाती नजर आए बल्कि कांग्रेस पार्टी के कई कार्यकर्ता भी भावुक दिखे.
सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के अलावा पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और राजस्थान के युवा नेता सचिन पायलट समेत कई कांग्रेसी वीर भूमि पहुंचे.
राहुल गांधी ने 'एक्स' पर किए पोस्ट के जरिए कहा, “पापा, आपके सपने, मेरे सपने, आपकी आकांक्षाएं, मेरी ज़िम्मेदारियां. आपकी यादें, आज और हमेशा, दिल में सदा.”
राजीव गांधी साल 1984 से 1989 के बीच भारत के प्रधानमंत्री रहे थे. उनकी साल 1991 में दक्षिण भारत के तमिलनाडु स्थित श्रीपेरंबुदूर में चुनाव प्रचार अभियान के दौरान लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के सदस्यों ने हत्या कर दी थी.
लिट्टे की ओर से तब राजीव गांधी को मारने के लिए तीन औरतों को मानव बम के रूप में चुना गया था, जिसमें धनु भी शामिल थी. उसी ने राजीव गांधी के पास जाकर खुद को बम से उड़ा लिया था और वारदात को अंजाम दिया था.
राजीव गांधी जब महिला समर्थकों से मिल रहे थे तब मानव बम धनु उनकी ओर चंदन का हार लेकर बढ़ी थी. वह उनके पैर छूने के लिए झुकी ही थी कि कानों को बहरा कर देने वाला जोरदार विस्फोट हुआ और आसपास चीख-पुकार मचने लगी थी.
धमाका इतना जबरदस्त था कि उसकी चपेट में आने वाले ज्यादातर लोगों के मौके पर ही परखच्चे उड़ गए थे. राजीव गांधी तब लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार कर रहे थे, जबकि श्रीलंका में शांति सेना भेजने से नाराज चल रहे तमिल विद्रोहियों ने इस बम धमाके को अंजाम दिया था.
लिट्टे ने उस एक धमाके से न सिर्फ घटनास्थल बल्कि वारदात के बाद इससे जुड़ी खबर पाकर पूरा इंडिया दहल गया था. वैसे, अगर लिट्टे का यह प्लान फेल हो जाता तो उसने प्लान बी की भी तैयारी कर रखी थी, जिसे दिल्ली में अंजाम दिया जाना था.
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