UP By Elections: BJP या 'INDIA' गठबंधन... यूपी में किसका चलेगा सिक्का, 10 सीटों पर उपचुनाव का काउंटडाउन शुरू
उत्तर प्रदेश में 4 जून के बाद से राजनीति ने गजब करवट लिया है. 80 में से 80 सीट का नारा देकर चुनाव में उतरी भाजपा को समाजवादी पार्टी ने ऐसा झटका दिया की लखनऊ से लेकर दिल्ली तक टेंशन बढ़ गई है. टेंशन यहां खत्म नहीं होती बल्कि अब बढ़ने वाली है, क्योंकि उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. ऐसे में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच कड़ा मुकाबला होगा.
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View In Appसबसे पहले आपको यह बताते हैं कि किन 10 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं. करहल, कुरंदकी, मझवा, मिल्कीपुर, गाजियाबाद, कटेहरी, सीसामऊ, फूलपुर, खैर और मीरापुर. यहां पर 9 विधायकों के सांसद बनने की वजह से उपचुनाव होने हैं. इन 10 सीटों पर किसका पलड़ा भारी होगा ये बड़ा सवाल है. विश्लेषक इसपर क्या कहते हैं आईए बताएं.
राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार राकेश शुक्ला का कहना है कि एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए ही यह समय परीक्षा की घड़ी है क्योंकि इंडिया गठबंधन के लिए परीक्षा इस बात के लिए है कि यदि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ती है तो क्या समाजवादी पार्टी कांग्रेस की तरफ से जो दो विधानसभा सीटें मांगी गई है उसे देने को तैयार है और यदि देने को तैयार होती है तो 2027 के विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन मजबूती के साथ आगे बढ़ेगा. वहीं इंडिया गठबंधन यदि कांग्रेस को सीट देने से आनाकानी करती है तो हो सकता है कि मतभेद बढ़ जाएंगे और 2027 के विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने का जो दावा किया जा रहा है वह कमजोर हो जाएगा.
कांग्रेस को भी लोकसभा चुनाव ने बूस्टर दिया है...इसलिए मुमकिन है कांग्रेस इन 10 सीटों में से किसी पर दावा ठोंक दे..या इंडिया गठबंधन से किसी कांग्रेस कैंडिडेट को टिकट मिले. इसी तरह बीजेपी की सहयोगी RLD और निषाद पार्टी को भी इन 10 सीटों में से कम से कम 2 टिकट पाने की उम्मीद है.
वही एक अन्य विश्लेषक योगेश मिश्रा ने कहा कि लोगों की नाराजगी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है क्योंकि उनकी नाराजगी केंद्र सरकार से ही नहीं बल्कि राज्य सरकार से भी थी. इसलिए यदि अगर उपचुनाव जल्द से जल्द होते हैं तो अखिलेश यादव को फायदा हो सकता है.
उन राजनीतिक विश्लेषक परवेज अहमद का कहना है कि पब्लिक का और राजनीतिक पार्टियों का अपना एक टेंपो बना हुआ है. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में जो परिणाम आए हैं उसे रोकने का किसी प्रकार का कोई प्रयास सरकार की ओर से दिख नहीं रहा है. वही नीट और नेट की परीक्षा के पेपर लीक होने के बाद गांव-कस्बों में लोगों के अंदर गुस्सा भरा हुआ है. जिसका असर की इलेक्शंस में दिखाई दे सकता है.
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