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कांशीराम या मायावती... BSP की खोई जमीन वापस पाने के लिए किसके रास्ते पर चलेंगे आकाश आनंद? वरिष्ठ पत्रकार ने किया ये दावा

UP Politics: जिस बसपा ने उत्तर प्रदेश में बहुमत की अपने दम बहुमत की सरकार बनाई थी. उस बसपा का आज उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यों वाली विधानसभा में केवल एक सदस्य है.

UP Politics: जिस बसपा ने उत्तर प्रदेश में बहुमत की अपने दम बहुमत की सरकार बनाई थी. उस बसपा का आज उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यों वाली विधानसभा में केवल एक सदस्य है.

बसपा के नेशनल कार्डिनेटर आकाश आनंद ने लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी उम्मीदवारों के समर्थन में एक चुनाव प्रचार रैली को संबोधित किया.

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वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने बताया कि बसपा में मायावती ने फिर से कमान और अपना उत्तराधिकार दोनों अपने भतीजे आकाश आनंद को सौंप 47 दिन के भीतर एक बार फिर राज्याभिषेक हो गया है. उनका कहना है कि क्या आकाश आनंद बसपा को कांशीराम के समय की बसपा बना पाएंगे? उन्होंने कहा कि बसपा का जो भी जलवा रहा है, वह कांशीराम का कालखंड है और यह ठीक है कि पहली बार जब बीएसपी ने अपने दम पर बहुमत की सरकार 2007 में बनाई. उन्होंने कहा कि तब कांशीराम का निधन हो चुका था.
वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने बताया कि बसपा में मायावती ने फिर से कमान और अपना उत्तराधिकार दोनों अपने भतीजे आकाश आनंद को सौंप 47 दिन के भीतर एक बार फिर राज्याभिषेक हो गया है. उनका कहना है कि क्या आकाश आनंद बसपा को कांशीराम के समय की बसपा बना पाएंगे? उन्होंने कहा कि बसपा का जो भी जलवा रहा है, वह कांशीराम का कालखंड है और यह ठीक है कि पहली बार जब बीएसपी ने अपने दम पर बहुमत की सरकार 2007 में बनाई. उन्होंने कहा कि तब कांशीराम का निधन हो चुका था.
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वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि बसपा में मायावती ने फिर से कमान और अपना उत्तराधिकार दोनों अपने भतीजे आकाश आनंद को सौंप दिया है. उनका कहना है कि क्या आकाश आनंद बसपा को कांशीराम के समय की बसपा बना पाएंगे? उन्होंने कहा कि बसपा का जो भी जलवा रहा है, वह कांशीराम का कालखंड है और यह ठीक है कि पहली बार बीएसपी ने अपने दम पर बहुमत की सरकार 2007 में बनाई और तब कांशीराम का निधन हो चुका था.
वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि बसपा में मायावती ने फिर से कमान और अपना उत्तराधिकार दोनों अपने भतीजे आकाश आनंद को सौंप दिया है. उनका कहना है कि क्या आकाश आनंद बसपा को कांशीराम के समय की बसपा बना पाएंगे? उन्होंने कहा कि बसपा का जो भी जलवा रहा है, वह कांशीराम का कालखंड है और यह ठीक है कि पहली बार बीएसपी ने अपने दम पर बहुमत की सरकार 2007 में बनाई और तब कांशीराम का निधन हो चुका था.
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अमिताभ अग्निहोत्री का मानना है कि कांशीराम के दौर में बसपा की भूमिका राजनीति में निर्णायक हो गई थी. उन्होंने कहा कि कांशीराम ने बीजेपी, सपा और कांग्रेस से भी एलायंस किया. उन्होंने सबसे गठबंधन किया. सबसे गठबंधन भी तोड़ा. अग्निहोत्री ने बताया कि कांशीराम ने यूपी में बीएसपी को भी वैसा ही दर्जा दिला दिया था कि कोई भी दल हो कोई भी राजनीतिक समीकरण हो बीएसपी को दरकिनार नहीं किया जा सकता.
अमिताभ अग्निहोत्री का मानना है कि कांशीराम के दौर में बसपा की भूमिका राजनीति में निर्णायक हो गई थी. उन्होंने कहा कि कांशीराम ने बीजेपी, सपा और कांग्रेस से भी एलायंस किया. उन्होंने सबसे गठबंधन किया. सबसे गठबंधन भी तोड़ा. अग्निहोत्री ने बताया कि कांशीराम ने यूपी में बीएसपी को भी वैसा ही दर्जा दिला दिया था कि कोई भी दल हो कोई भी राजनीतिक समीकरण हो बीएसपी को दरकिनार नहीं किया जा सकता.
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अमिताभ अग्निहोत्री ने कहा कि जब मायावती का कालखंड चला तो बीएसपी टूटती रही. उन्होंने कहा कि 29 फीसदी से ज्यादा वोट पाने वाली पार्टी आकर 9 फीसद वोट बैंक पर सिमट गई. उन्होंने कहा कि अब पीढ़ी परिवर्तन हुआ है बीएसपी में कांशीराम के बाद मायावती ने जब बीएसपी संभाली तो बीएसपी में लगातार क्षरण हुआ. हालांकि, अब मायावती से कमान ले रहे है आकाश आनंद क्या कांशीराम की कार्यशैली को फॉलो कर पाएंगे? उनका कहना है कांशीराम की कार्यशैली की दो विशेषताएं थी. उन्होंने कहा कि पहली तो ये थी कि सबके लिए बिना किसी तामझाम के उपलब्ध बने रहना.
अमिताभ अग्निहोत्री ने कहा कि जब मायावती का कालखंड चला तो बीएसपी टूटती रही. उन्होंने कहा कि 29 फीसदी से ज्यादा वोट पाने वाली पार्टी आकर 9 फीसद वोट बैंक पर सिमट गई. उन्होंने कहा कि अब पीढ़ी परिवर्तन हुआ है बीएसपी में कांशीराम के बाद मायावती ने जब बीएसपी संभाली तो बीएसपी में लगातार क्षरण हुआ. हालांकि, अब मायावती से कमान ले रहे है आकाश आनंद क्या कांशीराम की कार्यशैली को फॉलो कर पाएंगे? उनका कहना है कांशीराम की कार्यशैली की दो विशेषताएं थी. उन्होंने कहा कि पहली तो ये थी कि सबके लिए बिना किसी तामझाम के उपलब्ध बने रहना.
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वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि कांशीराम की दूसरी विशेषता था कि उनका प्रवास और यात्रा. उन्होंने कहा कि कांशीराम ने यूपी और देश भर में यात्राएं की. यह यह उनकी विशेषता थी कि बिना चुनाव भी रैलियां करना और जनसभाएं करना. उन्होंने कहा कि कांशीराम पूरे 5 साल सक्रिय रहने वाले राजनेता थे. उन्होंने बताया कि शायद इसीलिए उन्होंने बसपा को अपने जीवन काल में इतनी ऊंचाइयां दे दी.
वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि कांशीराम की दूसरी विशेषता था कि उनका प्रवास और यात्रा. उन्होंने कहा कि कांशीराम ने यूपी और देश भर में यात्राएं की. यह यह उनकी विशेषता थी कि बिना चुनाव भी रैलियां करना और जनसभाएं करना. उन्होंने कहा कि कांशीराम पूरे 5 साल सक्रिय रहने वाले राजनेता थे. उन्होंने बताया कि शायद इसीलिए उन्होंने बसपा को अपने जीवन काल में इतनी ऊंचाइयां दे दी.
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अमिताभ अग्निहोत्री ने कहा कि कांशीराम के बाद अब मायावती की जो कार्यशैली है. उस पर टिप्पणी करने की जरूरत नहीं  हैं. उन्होंने कहा कि अब आकाश पर निर्भर करता है वह कौन सी कार्यशैली चुनते हैं? अब फैसला आकाश आनंद को करना है कि वो बसपा को कौन से रास्ते पर ले जाना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि अब आकाश आनंद के ऊपर है वो कैसे और कहां तक बसपा को आगे ले जाते हैं? उनके पास चुनौती बड़ी है बसपा बेहद कमजोर स्थिति में है.
अमिताभ अग्निहोत्री ने कहा कि कांशीराम के बाद अब मायावती की जो कार्यशैली है. उस पर टिप्पणी करने की जरूरत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अब आकाश पर निर्भर करता है वह कौन सी कार्यशैली चुनते हैं? अब फैसला आकाश आनंद को करना है कि वो बसपा को कौन से रास्ते पर ले जाना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि अब आकाश आनंद के ऊपर है वो कैसे और कहां तक बसपा को आगे ले जाते हैं? उनके पास चुनौती बड़ी है बसपा बेहद कमजोर स्थिति में है.
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वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री का मानना है कि एक ओर यूपी में 3 बड़े कद के नेता हैं, जिसमें योगी आदित्यनाथ बीजेपी से, अखिलेश यादव सपा से और राहुल गांधी कांग्रेस से हैं, उन्होंने कहा कि इन तीन बड़े नेताओं से आकाश आनंद का मुकाबला है. ये कोई छोटा मुकाबला नहीं है. उनको इस रेस में अपनी उपयोगिता साबित करनी होगी. साथ ही ये भी देखना दिलचस्प होगा कि योगी आदित्यनाथ, अखिलेश यादव और राहुल गांधी इस राजनीतिक त्रिमूर्ति के बीच में आकाश आनंद कहां ठहरते हैं.
वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री का मानना है कि एक ओर यूपी में 3 बड़े कद के नेता हैं, जिसमें योगी आदित्यनाथ बीजेपी से, अखिलेश यादव सपा से और राहुल गांधी कांग्रेस से हैं, उन्होंने कहा कि इन तीन बड़े नेताओं से आकाश आनंद का मुकाबला है. ये कोई छोटा मुकाबला नहीं है. उनको इस रेस में अपनी उपयोगिता साबित करनी होगी. साथ ही ये भी देखना दिलचस्प होगा कि योगी आदित्यनाथ, अखिलेश यादव और राहुल गांधी इस राजनीतिक त्रिमूर्ति के बीच में आकाश आनंद कहां ठहरते हैं.

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