यूपी में सियासी खेमेबाजी भी तेज, वो पांच कारण जो बता रहे CM योगी Vs मौर्य में ऑल इज नॉट वेल?
उत्तर प्रदेश की राजनीति में उठापटक का दौर जारी है. सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच की तनातनी साफ दिखाई दे रही है. यूपी सरकार ये जरूर कह रही है कि प्रदेश में सब कुछ ठीक चल रहा है, लेकिन पांच ऐसी बातें हैं जो बता रही हैं कि यूपी में ऑल इज नॉट वेल.
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View In Appउत्तर प्रदेश में ऑल इस नॉट वेल का पहला कारण है सरकारी अधिकारियों का नकारापन. सांसदों और विधायकों ने यह शिकायत की है कि सरकारी अधिकारी जनप्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल फॉलो नहीं करते हैं और भ्रष्टाचार करते हैं. इनके ऊपर सख्त एक्शन लेने की भी मांग की गई है.
वहीं दूसरा कारण है यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की अलग-अलग बैठकें. दरअसल, योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य तमाम विधायकों और सांसदों के साथ बैठकें कर रहे हैं, लेकिन यह बैठक वह एक साथ नहीं बल्कि अलग-अलग अपने आवास पर कर रहे हैं.
तीसरा कारण है शक्ति प्रदर्शन. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बैठक के लिए दिल्ली जाने वाले हैं. ऐसे में यह कहा जा रहा है कि दिल्ली की बैठक से पहले दोनों ही नेता विधायकों और सांसदों से मिलकर अपना-अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं.
चौथा कारण है सियासी खेमेबाजी. यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद भी योगी महाराज के बुलडोजर मॉडल के खिलाफ बोलते नजर आए तो वहीं सिराथू से केशव प्रसाद मौर्य को हार का स्वाद चखाने वाली पलवी पटेल भी सीएम योगी से मिली. सवाल यह है कि सियासी हलचल के बीच यह मुलाकात क्यों हुई? वहीं अखिलेश यादव में भी पहले से मानसून ऑफर दे रखा है. उन्होंने कहा कि 100 विधायक लाओ और सरकार बनाओ.
उत्तर प्रदेश में ऑल इस नॉट वेल का पांचवा कारण है 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव और पुलिस भर्ती के पेपर लीक होने के बाद दोबारा बिना पेपर लीक हुए उन परीक्षाओं को कंडक्ट करवाना. इस परीक्षा में कुल 48 लाख बेरोजगार शामिल होंगे. वहीं फैजाबाद की मिल्कीपुर सीट भी बड़ी चुनौती है. समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने यहां से लोकसभा सीट जीती थी. इसके बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या मिल्कीपुर विधानसभा सीट जीतकर योगी आदित्यनाथ अयोध्या का बदला ले लेंगे?
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