चौंका देगा बलराज साहनी की मौत का सच, कहा था- मरने के बाद लाल झंडा ओढ़ा देना
बलराज साहनी का जन्म पाकिस्तान के रावलपिंडी में 1 मई 1913 को हुआ था. बलराज का परिवार आर्य समाजी था. उनके पिता हरबंस लाल काफी बड़े व्यापारी थे. उनके पिता ने उनका नाम हिंदू देवमाल्या के अनुसार युधिष्ठिर रखा था.लेकिन जब परिवार के कई लोग उनका नाम का सही से उच्चारण नहीं कर पाए तो उनका नाम बलराज रख दिया था.
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View In Appबलराज बचपन से ही कुछ बागी स्वभाव के थे. उनके पिता ने उन्हें गुरुकुल में पढ़ाई करने के लिए भेजा था लेकिन उन्हें धर्म आधारित पढ़ाई रास नहीं आई और उन्होंने गुरुकुल जाने से मना कर दिया था. बाद में उनके पिता ने उन्हें पढ़ने के लिए डीएवी भेज दिया. बलराज साहनी ने इसके बाद लाहौर यूनिवर्सिटी से एमए इन इंग्लिश किया और फिर उन्होंने कविताएं लिखनी शुरू कर दी थी. वे नाटक में भी काम करने लगे थे. बाद में वे रावलपिंडी अपने परिवार का बिजनेस संभालने के लिए आ गए थे.
6 दिसंबर 1936 को बलराज साहनी की शादी दमयंती से हुई थी. 1937 में वे परिवार के साथ श्रीनगर आ गए. बलराज का मन बिजनेस में नहीं लग रहा था और फिर वे अपनी पत्नी के साथ घर छोड़कर चले गए. 1938 में वे महात्मा गांधी से मिले और उनके साथ काम भी किया. बाद में वे इंग्लैंड चले गए जहां उन्होंने बीबीसी लंदन हिंदी को जॉइन किया. बीबीसी लंदन में 4 साल नौकरी करने के बाद बलराज अपने देश लौट आए. इसके बाद बलराज को एक्टिंग का जुनून सवार हो गया. इसके बाद वे पत्नी को लेकर मायानगरी बंबई चले आए. शुरुआत में कुछ संघर्ष किया और फिर बलराज और उनकी पत्नी दमयंती को फिल्मों में काम मिल गया.
1953 में बलराज की फिल्म दो बीघा जमीन रिलीज हुई और ये बॉक्स ऑफिस पर सुपर-डुपर हिट रही. इसी के साथ बलराज रातों-रात स्टार बन गए. इसके बाद बलराज ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और उन्होंने नीलकमल, घर घर की कहानी, दो रास्ते, एक फूल दो माली और वक्त जैसी तमाम शानदार फिल्में दी और वे बॉलीवुड के टॉप एक्टर बन गए.
बलराज साहनी बॉलीवुड के महान अभिनेता थे लेकिन उनकी मौत दर्दनाक रही. दरअसल उनकी पत्नी दमयंती शूटिंग के दौरान हादसे का शिकार हो गई थी और उनकी मौत हो गई थी. पत्नी के जाने के गम ने बलराज को अंदर तक तोड़कर रख दिया था.
पत्नी की मौत के बाद बलराज ने ही अपने दोनों बच्चों परीक्षित साहनी और शबनम की परवरिश की. हालांकि बलराज के अपने बेटे परीक्षित संग रिश्ते अच्छे नहीं थे. बलराज ने बेटी शबनम की शादी कर दी थी लेकिन उनकी बेटी की ससुराल में मौत हो गई और इस घटना से बलराज को गहरा सदमा लगा और वे काफी दुखी रहने लगे थे. फिर बलराज को भी हार्ट की बीमारी हो गई.
वो 13 अप्रैल 1973 का दिन था. बलराज रोज की तरह समंदर में तैरने गए थे. इसके बाद वे घर आए और शूटिंग पर जाने के लिए तैयार होने लगे थे लेकिन तभी उन्हें दिल में तेज दर्द होने लगा. दर्द से तड़पते बलराज को फौरन नानावती अस्पताल ले जाया गया लेकिन यहां उन्हें दूसरा और फिर तीसरा दिल का दौरा पड़ा और 59 साल की उम्र में बलराज साहनी ने हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया.
बता दें कि बलराज साहनी मार्किस्ट विचारधारा के थे और उन्होंने मरते दम तक इसे नहीं छोड़ा था. यहां तक कि उन्होने अपने आखिरी समय में कहा था कि जब मेरी मौत हो तब किसी पंडित को ना बुलाना, मंत्र ना पढ़ना और मेरी अंतिम यात्रा निकले तो मेरे जनाजे पर लाल झंडा ओढ़ा देना.
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