इस अभिनेत्री ने महिलाओं को दी फिल्मों में काम करने की हिम्मत, बेटा खोया तो बन गई पूरी इंडस्ट्री की 'मां'
एक दौर था, जब भारत में नाटकों और फिल्मों आदि में महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं थी. आलम यह था कि महिलाओं के किरदार भी पुरुष ही निभाते थे.
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View In Appइस हालात को बदलने में दुर्गा खोटे ने अहम भूमिका निभाई और बॉलीवुड में महिलाओं की आइडल बन गईं. 14 जनवरी 1905 के दिन मुंबई में जन्मी दुर्गा एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखती थीं.
जब उन्होंने फिल्मों में काम करने का फैसला किया तो हड़कंप मच गया. दुर्गा को कई तरह की बातें सुननी पड़ीं, लेकिन वह अपने सफर पर निकल पड़ीं.
दरअसल, 18 साल की उम्र में दुर्गा की शादी हो गई थी, लेकिन दो साल बाद ही उनके पति का निधन हो गया. उस वक्त दुर्गा के दो बेटे थे.
पति की मौत के बाद उन्हें आर्थिक तंगी से जूझना पड़ा, जिसके चलते वह फिल्मों में काम करने लगीं. उनकी पहली फिल्म 'फरेबी जाल' थी, जिसके खराब कंटेंट की वजह से दुर्गा को आलोचना का सामना करना पड़ा था.
इसके बाद दुर्गा ने करीब 50 साल तक फिल्म इंडस्ट्री में काम किया और करीब 200 फिल्मों में अभिनय किया. उस दौरान दुर्गा के बेटे हरिन का निधन हो गया, जिससे उन्हें गहरा सदमा लगा.
फिल्म 'मुगल-ए-आजम' में दुर्गा खोटे ने जोधबाई का किरदार निभाया था. बता दें कि दुर्गा ने सिल्वर स्क्रीन पर ज्यादातर मां के किरदार निभाए. 1991 में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.
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