... तो संजीव कुमार नहीं धर्मेंद्र बनते ठाकुर? पढ़ें रमेश सिप्पी की शोले के 10 अनसुने किस्से
फिल्म की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि धर्मेंद्र ठाकुर का किरदार निभाना चाहते थे. रमेश सिप्पी ने धर्मेंद्र को यह बात समझाई थी कि अगर वह वीरू बनते हैं तो आखिर में वह ही बसंती के साथ होंगे.
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View In Appशायद ही आप यह बात जानते होंगे कि जय के किरदार के लिए अमिताभ बच्चन पहली पसंद नहीं थे. दरअसल, इस रोल के लिए शत्रुघ्न सिन्हा को पहले प्रस्ताव भेजा गया था.
बता दें कि अमिताभ के नाम का सुझाव सलीम खान ने ही रमेश सिप्पी को दिया था. वहीं, धर्मेंद्र भी अमिताभ के ही पक्ष में थे.
आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि शोले फिल्म मुंबई के मिनर्वा थिएटर में 1975 से 1980 तक लगातार पांच साल तक चलती रही थी. इससे आप फिल्म को लेकर लोगों की दीवानगी का अंदाजा लगा सकते हैं.
फिल्म में जया बच्चन के लालटेन बुझाने और अमिताभ के माउथ ऑर्गन बजाने के सीन को शूट करने में 20 दिन लग गए थे.
गब्बर के लिए सबसे पहले डैनी डेंजोगपा से बातचीत की गई थी. हालांकि, उन्होंने इनकार कर दिया, क्योंकि उस वक्त वह धर्मात्मा की शूटिंग में व्यस्त थे.
आपको यह बात हैरान कर देगी कि शोले के जिस गब्बर ने पूरी फिल्म में तहलका मचाया, उसने सीन नौ ही सीन मिले थे.
फिल्म में डाकू का नाम गब्बर रखने के पीछे की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. दरअसल, सलीम खान के पिता पुलिस में थे. उन्होंने ही गब्बर नाम के डाकू का किस्सा बताया था.
शोले की स्क्रिप्ट सलीम खान और जावेद अख्तर ने लिखी थी. इसके लिए दोनों को 10 हजार रुपये मिले थे, जो उस वक्त काफी बड़ी रकम थी.
अपने जमाने में शोले सबसे महंगी फिल्म थी. इसका बजट एक करोड़ रुपये आंका गया था, लेकिन शूटिंग खत्म होते-होते तीन करोड़ रुपये खर्च हो गए थे.
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