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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
मां पारसी, पिता मुस्लिम.... इंटरफेथ घराने में कैसे हुई फरहान अख्तर की परवरिश? एक्टर ने बताई अंदर की बात
फरहान अख्तर ने बताया कि उनके पिता ने उन्हें अपने आस-पास की हर चीज पर सवाल उठाना सिखाया. फरहान ने यह भी कहा कि कैसे किसी खास धर्म को न मानने के बावजूद उन्होंने हर त्योहार- होली, दिवाली, ईद, क्रिसमस को उसी उत्साह के साथ मनाया है.
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View In Appफेय डिसूजा के साथ उनके यूट्यूब चैनल पर बातचीत में फरहान ने कहा, ‘मेरे पिता ने मुझे बिना किसी धर्म के पाला और हर चीज पर सवाल उठाना सिखाया.'
'जब आप बिना किसी धर्म के बड़े होते हैं तो आप अपने आप ही हर चीज पर सवाल उठाने लगते हैं.’ फरहान आगे कहते हैं, ‘मेरे पिता ने हमें कभी नहीं कहा कि भगवान में विश्वास मत करो, हमने बस वही किया जो हमने देखा.
एक्टर ने आगे कहा- 'ये चीजें जरूरी हैं क्योंकि किसी चीज को साबित करने से पहले ही यह कहा जा सकता है कि यह एक फैक्ट है या फिर एक थ्योरी है.'
वे कहते हैं- 'अरबों लोग आस्था के सहारे जीते हैं और यह अजीब है कि आस्था रखने वाले लोगों को जो सुकून मिलता है, आस्था न रखने वाले लोगों के लिए वह पाना बहुत मुश्किल है.'
फरहान ने त्योहारों से जुड़े अपने बचपन के एक्सपीरियंस को शेयर करते हुए कहा, ‘बचपन में त्योहार धर्म के सबसे बेहतरीन पहलू थे, क्योंकि इसमें आप अपने दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करते थे और खाने के लिए सबसे बढ़िया चीजें मिलती थीं.
वे बताते हें- 'मेरी मां और हम हर त्योहार घर पर मनाते थे होली, दिवाली, ईद, क्रिसमस और हर त्योहार को उतनी ही धूमधाम से मनाया जाता था. मुझे लगता है कि त्योहार धार्मिक चीज से ज्यादा सांस्कृतिक हैं. यह ऐसा है जैसे आप किसी संस्कृति का जश्न मना रहे हैं.'
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