एक्सप्लोरर
जब पिता ने फिल्म पर पानी की तरह बहाया पैसा, लेकिन धरी रह गई थी बेटे की हीरोगिरी, एक झटके में डूब गए 82 करोड़
Bollywood Biggest Flop Film Of 2010: साल 2010 में बॉलीवुड के एक मशहूर एक्टर की बिग बजट फिल्म रिलीज हुई थी, जिसके फ्लॉप होने से फिल्ममेकर पिता को करोड़ों रुपये का नुकसान हो गया था.

बॉक्स ऑफिस पर पिट गई थी ये बिग बजट फिल्म
1/7

हर साल कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिटती हैं जबकि रिलीज से पहले उन्हें लेकर जबरदस्त बज़ होता है. आज हम आपको ऐसे ही एक फिल्म के बारे में बताते हैं जिसे पिता और बेटे की मशहूर जोड़ी ने मिलकर बनाया था, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर दोनों फेल हो गए थे.
2/7

हम बात कर रहे हैं 'काइट्स' मूवी की. ऋतिक रोशन और मैक्सिकन हीरोइन बारबरा मोरी की ये फिल्म साल 2010 में रिलीज हुई थी. कंगना रनौत भी इस फिल्म का अहम हिस्सा थीं, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर फिल्म का जादू नहीं चला.
3/7

राकेश रोशन ने बेटे ऋतिक रोशन को लेकर 'कहो ना प्यार है', 'कोई मिल गया', 'कृष' और 'कृष 3' जैसी सफल फिल्में बनाई हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों की जोड़ी सुपरहिट रही है, लेकिन दुर्भाग्यवश 'काइट्स' फिल्म बुरी तरह पिट गई थी.
4/7

राकेश रोशन ने बेटे की फिल्म 'काइट्स' को प्रोड्यूस किया था. वहीं, डायरेक्टर थे अनुराग बासु. रिलीज से पहले फिल्म को लेकर लोगों के बीच गजब की हाइप थी. ट्रेलर देखकर लोगों ने अंदाजा लगाया कि ये मूवी सुपरहिट साबित होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
5/7

बॉक्स ऑफिस इंडिया के मुताबिक, 'काइट्स' की मेकिंग में 82 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, लेकिन रिलीज के बाद मूवी की हालत ऐसी हुई कि जैसे तैसे सिर्फ अपनी लागत वसूल पाई थी.
6/7

'काइट्स' को कई शानदार लोकेशन में शूट किया गया था, मगर इसकी कहानी लोंगो के दिलों को नहीं जीत पाई. दुनियाभर में इसका टोटल कलेक्शन 86 करोड़ रुपये था, जो बजट से सिर्फ 4 करोड़ रुपये ज्यादा है. इस तरह राकेश रोशन और ऋतिक रोशन की ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर पिट गई थी.
7/7

वर्क फ्रंट की बात करें तो ऋतिक रोशन बहुत जल्द 'फाइटर' मूवी में नजर आएंगे जो अगले साल 2024 में जनवरी में रिलीज होगी. इसमें उनके साथ पहली बार दीपिका पादुकोण की जोड़ी नजर आएगी.
Published at : 30 Dec 2023 03:11 PM (IST)
और देखें
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
इंडिया
विश्व
दिल्ली NCR
बॉलीवुड
Advertisement


प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
Opinion