एक्सप्लोरर
100 करोड़ की शादी...126 देशों से आए थे वीआईपी गेस्ट, पांच साल में हुआ तलाक़, एक्ट्रेस की ‘सौतन’ की कहानी
Priya Sachdev Wedding: आज हम आपको उस शादी के बारे में बताने वाले हैं. जिसके लिए 100 करोड़ रुपए की रकम खर्च की गई थी. लेकिन कपल पांच साल भी एक-दूजे के साथ नहीं टिक पाया.

अभी तक आपने बॉलीवुड के कई स्टार्स को अपनी शादी में पानी की तरह पैसे बहाते देखा होगा. लेकिन आज हम एक एक्ट्रेस की ‘सौतन’ की उस शादी से रूबरू करवा रहे हैं. जिसे शानदार बनाने के लिए उसमें 100 करोड़ का खर्चा किया गया था. बावजूद इसके ये शादी पांच साल भी नहीं टिक पाई.
1/8

दरअसल हम बात कर रहे हैं 90 के दशक की पॉपुलर एक्ट्रेस करिश्मा कपूर की सौतन प्रिया सचदेव की. जिन्होंने एक्ट्रेस के एक्स हसबैंड संजय कपूर से शादी रचाई है.
2/8

लेकिन बहुत कम लोग ये बात जानते होंगे कि ये सिर्फ संजय की ही नहीं बल्कि प्रिया सचदेव की भी दूसरी शादी थी. इससे पहले प्रिया ने पंजाब के फरीदकोट से ताल्लुक रखने वाले अमेरिकी होटलियर्स विक्रम चटवाल से शादी की थी.
3/8

प्रिया और विक्रम की शादी साल 2006 में उदयपुर के जगमंदिर पैलेस में बहुत ही धूमधाम से की गई थी. जो सबसे महंगी शादियों में गिनी जाती है.
4/8

प्रिया औऱ विक्रम की शादी के फंक्शन उदयपुर में 10 दिनों तक तक चले थे. शादी के लिए 100 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. इस ग्रैंड वेडिंग में सिर्फ इंडिया से ही नहीं बल्कि 126 देशों से कई वीआईपी गेस्ट पहुंचे थे.
5/8

प्रिया की शादी की गेस्ट लिस्ट में में फॉर्मर पीएम मनमोहन सिंह से लेकर नाओमी कैंपबेल, लक्ष्मी मित्तल, ग्रीस के राजकुमार निकोलस और ईरान के दिवंगत शाह के बेटे जैसे लोग शामिल हुए थे.
6/8

विक्रम और प्रिया की शादी की शुरुआत में सबकुछ ठीक था. लेकिन फिर कपल के बीच मनमुटाव होने लगे और बात तलाक तक पहुंच गई. दोनों ने महज पांच साल में ही तलाक ले लिया.
7/8

वहीं तलाक के बाद इसके बार में बात करते हुए विक्रम ने बताया था कि उनकी प्रिया से शादी फैमिली प्रेशर में की थी. फिर शादी के बात उनकी सोच नहीं मिला और वो अलग हो गए.
8/8

बता दें कि अब प्रिया एक्ट्रेस करिश्मा के एक्स पति संजय कपूर से शादीशुदा हैं. दोनों की जिंदगी काफी खुशहाल है.
Published at : 19 Mar 2024 06:53 PM (IST)
और देखें
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
इंडिया
बिहार
साउथ सिनेमा
आईपीएल
Advertisement


अरुण पांडेराजनीतिक विश्लेषक
Opinion