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Mahendra Kapoor Birthday: एक कॉन्टेस्ट ने लगाए थे किस्मत में चार चांद, फिर इस देशभक्ति गीत ने दिलाई पहचान
कई बार किस्मत सिर्फ एक मौका देती है और उससे ही इंसान की तकदीर पूरी तरह पलट जाती है. कुछ ऐसा ही गायक महेंद्र कपूर के साथ हुआ था. उनकी 89वीं जयंती पर जानते हैं उनसे जुड़े कुछ किस्से...

महेंद्र कपूर (Image Credit: Mahendra Kapoor Fan Page Facebook)
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फिल्मी दुनिया में एक से बढ़कर एक फनकार हुए हैं. उनमें से एक हैं गायक महेंद्र कपूर. उनके सुरों में इतनी जान होती थी कि हर किसी के दिल को छू लेते थे.
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9 जनवरी 1934 के दिन अमृतसर (पंजाब) में जन्मे महेंद्र को बचपन से गायिकी का शौक था. इसी शौक की वजह से वह मुंबई तक पहुंच गए. हालांकि, गायिकी की दुनिया में पहचान बनाने के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी.
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महेंद्र कपूर ने संगीत की शुरुआती तालीम हुस्नलाल-भगतराम, उस्ताद नियाज अहमद खान, उस्ताद अब्दुल रहमान खान और पंडित तुलसीदास शर्मा से हासिल की. वह मोहम्मद रफी से काफी ज्यादा प्रभावित थे. ऐसे में उनकी तरह पार्श्वगायक बनना चाहते थे.
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क्या आप जानते हैं कि महेंद्र कपूर की किस्मत सिर्फ एक प्रतियोगिता से चमक गई थी. दरअसल, मर्फी रेडियो ने एक प्रतियोगिता आयोजित की थी, जिसमें महेंद्र विजेता बने. यहीं से उनका फिल्मी सफर भी शुरू हो गया.
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1953 में फिल्म 'मदमस्त' में साहिर लुधियानवी ने 'आप आए तो ख्याल-ए-दिल-ए नाशाद आया' गीत लिखा, जिसे महेंद्र ने आवाज दी. इसके बाद 1958 में फिल्म 'नवरंग' में 'आधा है चंद्रमा रात आधी' से उन्हें पहचान मिली.
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फिल्मी करियर के दौरान महेंद्र ने तमाम नगमे गुनगुनाए, लेकिन फिल्म 'उपकार' का गीत 'मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती..' उनके करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुआ. देशभक्ति गीतों की लिस्ट में इस गीत को सबसे ज्यादा तवज्जो मिली.
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मेरे देश की धरती गीत के लिए उन्हें बेस्ट प्लेबैक सिंगर का राष्ट्रीय अवॉर्ड भी मिला. वहीं, 1972 में भारत सरकार ने महेंद्र कपूर को कला के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया.
Published at : 09 Jan 2023 07:48 AM (IST)
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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार
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