जब नेशनल अवॉर्ड जीतने के बाद मिथुन चक्रवर्ती में आ गया था घमंड, प्रोड्यूसर ने एक्टर का यूं तोड़ा था 'अहंकार'
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इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू के दौरान, मिथुन ने फिल्म इंडस्ट्री में अपने शुरुआती संघर्षों के बारे में बात की और इस यात्रा को कठिन और दर्दनाक भी बताया.
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उन्होंने बताया कि वह कभी भी अपनी ऑटोबायोग्राफी क्यों नहीं लिखना चाहते थे, उन्हें डर था कि उनकी कहानी उन युवाओं को प्रेरित करने के बजाय निराश कर देगी.
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अपने अतीत को याद करते हुए, मिथुन ने उन दिनों को याद किया जब उन्हें खाना नहीं मिलता था और कभी-कभी उन्हें सड़कों पर सोना पड़ता था. मिथुन ने कहा, 'कई लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं अपनी ऑटोबायोग्राफी क्यों नहीं लिखता. मैं नहीं कहता क्योंकि मेरी कहानी लोगों को इंस्पायर नहीं करेगी. यह उन्हें निराश कर देगी. यह उन युवा लड़कों की भावना को तोड़ देगा जो संघर्ष कर रहे हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'यह बहुत कठिन, इतना दर्दनाक, बहुत दर्दनाक है.”
मिथुन ने ये भी बताया कि 'मृगया' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने के बाद वह अहंकारी हो गए थे और उन्होंने अपने रवैये की तुलना अल पचिनो से की थी.
मिथुन ने कहा 'मैंने अल पचिनो की तरह एक्टिंग करना शुरू कर दिया. ऐसा लगा जैसे मैं सबसे महान अभिनेता हूं. मेरा रवैया इतना बदल गया कि एक निर्माता ने इसे देखा और कहा, 'बाहर निकलो.' इसके बाद उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ था.
मिथुन ने खुलासा किया कि लाइफ का यह महत्वपूर्ण सबक सीखने के बाद, उन्होंने स्टार बनने तक आर्ट फिल्में न करने का करियर-डिफाइंग फैसला लिया था.
मिथुन ने आगे कहा कि उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा है कि उन्हें देश का सर्वोच्च फिल्म पुरस्कार मिल रहा है. एक्टर ने कहा, “मैं कोलकाता की अंधी गली से निकलकर बॉम्बे पहुंचा और मेरा सफर बहुत कठीन था. किसी दिन मैं फुटपाथ पर सोता था और किसी दिन ही खाना खा पाता था.”
दिग्गज अभिनेता ने कहा,” उन्हें अभी भी अपनी उपलब्धि की वास्तविकता को समझने में कठिनाई हो रही है, उन्होंने कहा कि वह अभी भी अचंभे में हैं.”
मिथुन ने कहा, ‘मैं न तो खुशी से हंस सकता हूं और न ही खुशी से रो सकता हूं.'
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