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ऋचा चड्ढा से शर्मिला टैगोर तक, साल 2025 में इंडस्ट्री में कई बदलाव चाहते हैं ये सितारे
Celebs in New Year 2025: कई सेलेब्स ने नए साल पर कई रेज्यूलेशन लिए हैं. वहीं कई सेलेब्स इस साल इंडस्ट्री में कई बदलाव चाहते हैं. चलिए जानते हैं आखिर कौन सा सितारा क्या बदलाव चाहता है.

साल 2025 की शुरुआत हो गई है. वहीं हर कोई साल के आगाज पर कई रेज्यूलेशन लेते हैं. कोई ज्यादा फिट रहने तो कोई ज्यादा एक्टिव रहने का रिज्योलूशन लेता है. वहीं कई अपने संस्थान या इंडस्ट्री में चेंज चाहते हैं. बॉलीवुड के कई सितारों ने भी खुलासा किया है कि आखिर वे इस साल फिल्म इंडस्ट्री में क्या बदलाव चाहते हैं.
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हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक गर्ल्स विल बी गर्ल्स से एक्ट्रेस से प्रोड्यूस बनीं ऋचा चड्ढा का कहना है कि भारतीय फिल्म सीन को 'लेबल' से छुटकारा पाने की जरूरत है. ऋचा का कहना है कि, "एक निर्माता कहेगा, यह एक इंडिपेंडेंट फिल्म है. एक फाइनेंसर इसे फेस्टिवल फिल्म, मल्टीप्लेक्स फिल्म या ब्लॉकबस्टर कहेगा. पैरेलेल सिनेमा या महिला सेंट्रिक जैसी टर्म भी हैं. हर दिन कई नए जॉनर को इनवेंट किया जा रहा है."
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रिपोर्ट के मुताबिक दिग्गज अभिनेत्री शर्मिला टैगोर चाहती हैं कि दर्शक छोटी और इंडिपेंडेंट फिल्मों को सपोर्ट करें. इसे लेकर वह कहती हैं, "हम हर साल कहते हैं कि हमें अच्छी चीजें, नई चीजें चाहिए. इसलिए जब ये नई फिल्में आएंगी तो हमें उनका समर्थन करना चाहिए. एक बार दर्शक ऐसा करेंगे, तो इंडस्ट्री ऐसे और अच्छे सिनेमा बनाएगा."
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मिर्जापुर के गुड्डू भैया यानी अली फजल अली का मानना है कि फिल्म निर्माता आज नया करने से डरते हैं. वह कहते हैं, ''बहुत पहले नहीं, हमारे पास फुकरे, कहानी, मसान थीं. ये सभी फिल्में उस समय आई थीं जब दर्शक थे.'' उन्होंने आगे कहा, ''अभी भी है, मैं पिछले कुछ सालों में महामारी सहित जो कुछ भी हुआ है, उसके बारे में सोचता हूं तो लगता है कि हर कोई डरा हुआ है, शायद हम कोशिश कर सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं. "
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राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मानसी पारेख पिछले कुछ सालों में गुजराती सिनेमा में कमाल कर रही हैं, लेकिन उन्हें 'क्षेत्रीय सिनेमा' का टैग पसंद नहीं है. उनका मानना है कि भारतीय सिनेमा को न केवल बाहरी लोगों द्वारा बल्कि भीतर के लोगों द्वारा भी एक यूनिट के रूप में देखा जा सकता है.
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मानसी कहती हैं, "मैं एक ऐसी फिल्म बनाना पसंद करूंगी जिसमें वह तमिल में बोलें और मैं गुजराती में बोलूं. भारत में रियल लाइफ में लोग इसी तरह बात करते हैं, जहां कई भाषाओं में बातचीत होती है. हम एक साथ आते हैं, एक-दूसरे को समझते हैं और कम्यूनिकेट करने का तरीका फिगरआउट करते हैं."
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अहसास चन्ना का कहना है कि कन्वेंशनल बॉलीवुड एक्ट्रेस को कैसे प्रजेंट किया जाए, इसे लेकर हमें ज्यादा डायवर्स होने की जरूरत हैं. इसे एक्ट्रेस टाइपकास्ट नहीं होंगी.
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अहसास कहती हैं, "हम हमेशा उम्मीद करते हैं कि अभिनेत्रियां या बॉलीवुड नायिकाएं एक खास तरह की हों, उनका शरीर और चेहरा एक खास तरह का हो. मुझे लगता है कि इससे मेन स्ट्रीम की बॉलीवुड हिरोइनों और यहां तक कि हीरो डायवर्स कम हो जाती है. मुझे लगता है कि इसमें बदलाव होना चाहिए."
Published at : 02 Jan 2025 11:43 AM (IST)
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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