थिएटर से एक्टिंग सीखी, खर्च चलाने के लिए करनी पड़ी एडल्ट फिल्में...जानें 'बनराकस' के संघर्ष की कहानी
पंचायत वेब सीरीज में भूषण के किरदार के कई शेड्स हैं. ग्राम पंचायत की राजनीति और अक्खड़ इंसान के किरदार के दुर्गेश ने बखूबी निभाया है. लेकिन यहां तक सफर बेहद मुश्किलों भरा रहा.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appदुर्गेश कुमार बिहार के दरभंगा के रहने वाले हैं. उनकी शुरुआती पढ़ाई लिखाई दरभंगा में ही हुई है. शुरुआत से ही उनका झुकाव सिनेमा की तरफ था लेकिन एक बातचीत के दौरान दुर्गेश ने बताया कि एक छोटे शहर के साधारण से लड़के का फिल्मों में एक्टिंग के बारे में सोचना भी एक बड़ी बात थी.
दुर्गेश बताते हैं कि मैं उस वक्त मनोज वाजपेयी की अखबारों में तस्वीर देखकर सोचता था कि जब बिहार का ये लड़का फिल्मों में हीरो बन सकता है तो हम भी कुछ कर सकते हैं. मेरे एक्टिंग को लेकर प्यार को लेकर मेरे भाई ने मुझे थिएटर ज्वाइन करने की सलाह दी.
दुर्गेश कुमार ने इसके बाद कुछ लोकल थिएटर ग्रुप्स के साथ काम करना शुरू कर दिया और अपनी एक्टिंग और ओवरऑल स्किल्स को सुधारने में लग गए. इसके बाद बारहवीं तक की पढ़ाई के बाद वो दिल्ली पहुंच गए और एनएसडी में एक्टिंग के गुर सीखे. जिसका उन्हें आगे चलकर फायदा भी मिला.
दुर्गेश बताते हैं कि दिल्ली से मुंबई पहुंचने के बाद चीजें काफी मुश्किल रहीं. हालांकि शुरुआत में कई फिल्मों में छोट-मोटे किरदारों में कास्ट किया जाने लगा लेकिन कोई अच्छा काम नहीं मिल रहा था. रहन सहन का खर्च भी भारी पड़ने लगा था. इस दौर में उन्होंने हाईवे, सुल्तान, फ्रीकी अली जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे किरदार निभाए.
एक्टर ने बताया कि दौरान काम की किल्लत हो गई और खर्च निकालना भी भारी पड़ने लगा. इस दौर में मैंने सॉफ्ट पोर्न फिल्मों में भी किरदार निभाए. मैं एक्टिंग के बिना नहीं रह सकता. किरदार कैसा भी हो मैं उसमें जान लगा देता हूं. मैंने बालाजी की वर्जिन भास्कर में भी काम किया.
इस दौर में दुर्गेश डिप्रेशन का भी शिकार हो गए थे. वो बताते हैं कि मैं ऑडिशन क्लियर नहीं कर पा रहा था. कास्टिंग वाले लोग जानते थे कि मैं कुछ कर सकता हूं लेकिन बात नहीं बन पा रही थी. इसी बीच मुझे पंचायत के लिए ऑडिशन का कॉल आया. इसमें एक सीन जिसमें मैं कहता हूं कि सचिव जी, ये क्या लिखवा रहे हैं. ये बेहद वायरल भी हो गया था. इसके बाद पंचायत के बनराकस को किसी पहचान की जरूरत नहीं पड़ी.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -