वैलेंटाइन डे पर हुआ था Madhubala का जन्म लेकिन ताउम्र प्यार के लिए तरसती रहीं खूबसूरती की मलिका
आखिरकार 1952 में प्रेमनाथ ने बीना राय को अपना हमसफर चुन लिया. और मधुबाला का पहला प्यार अधूरा रह गया. उसी वक्त दिलीप कुमार भी मन ही मन मधुबाला को चाहने लगे थे. और मधुबाला भी अकेली हो चुकी थीं लिहाज़ा दोनों एक दूसरे के करीब आ गए.
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View In Appअगर दिल ग़म से खाली हो तो जीने का मज़ा क्या है, ना हो खून-ए-जिगर तो अश्क़ पीने का मज़ा क्या है...मोहब्बत में जरा आँसू बहाकर हम भी देखेंगे...अजी हाँ...हम भी देखेंगे. मधुबाला ने मुगल ए आज़म गाने की इन पंक्तियों को चरितार्थ कर दिया था. उन्होंने मोहब्बत भी की, मोहब्बत का गम भी लिया और उसे खूब जीया.
दरअसल फिल्म नया दौर के एक मामले में दिलीप कुमार ने मधुबाला को छोड़ फिल्म के मेकर्स का साथ दिया जिसके चलते ही मधुबाला और दिलीप कुमार के रिश्ते में ऐसी खाई आई जो कभी भर न पाई.
मुगल ए आज़म में दोनों को कास्ट किया गया था जिसकी शूटिंग लगभग 10 साल तक चली थी. इस दौरान दोनों की नज़दीकियां काफी बढ़ गई थीं. लेकिन शायद मधुबाला की किस्मत में ही प्यार नहीं था. दोनों को बीच कुछ ऐसा हुआ कि ये भी अलग हो गए.
दोनों उस वक्त एक दूसरे को पसंद करते थे लेकिन इनके बीच में दीवार थी मधुबाला के पिता जो नहीं चाहते थे कि मधुबाला शादी करके घर बसाए और उनकी आमदनी का ज़रिया बंद हो जाए. साथ ही प्रेमनाथ के परिवार वाले भी इस रिश्ते से खुश नहीं थे.
दिलीप कुमार के बाद मधुबाला की जिंदगी में कदम रखा किशोर कुमार ने. दोनों ने कुछ फिल्म साथ की और एक दूसरे के करीब आ गए. और दोनों ने शादी तक करने का फैसला ले लिया. दोनों ने शादी की और वो लंदन गए तभी उनकी दिल की बीमारी इतनी बढ़ चुकी थी कि डॉक्टरों ने कह दिया कि अब वो ज्यादा समय तक नहीं बचेंगी.
और हुआ भी ऐसा ही किशोर कुमार से शादी के बाद मधुबाला 9 साल तक जिंदा रहीं. लेकिन ये 9 साल काफी दुखद रहे. कहा जाता है कि आखिरी के दिनों मेें किशोर कुमार ने भी मधुबाला को अकेले छोड़ दिया था वो महीनों में एक बार उनसे मिलने जाते थे. अकेले रहना मधुबाला के लिए सबसे दर्द भरा था. और वो आजीवन प्यार के लिए तरसती रहीं. 23 फरवरी, 1969 को उन्होंने आखिरी सांस ली.
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