Ramanand Sagar Death Anniversary: 'मौत के बिस्तर से डायरी टीबी पेशेंट की', जब अस्पताल में भर्ती रामानंद सागर ने एक कॉलम से लोगों को कर दिया था हैरान
उस जमाने में भगवान राम की कहानी को पर्दे पर इतने जीवंत तरीके से दिखाया गया था आज भी लोग इस सीरियल के किरदारों को भगवान राम और मां सीता के रूप में पूजते हैं.
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View In Appसन 1917 में जन्में रामानंद चोपड़ा को उनके नाना ने चंद्रमौली नाम दिया था. रामायण बनाने से पहले उन्होंने बहुत से उपन्यास लिखे, कहानियां लिखी और यहां तक की कई अखबारों के लिए भी लिखा.
रामानंद सागर की रामायण आज भी लोगों के दिलों में बसती है. इसके बाद कई लोगों ने रामायण पर आधारित बनाए, लेकिन इसे जितना प्यार मिला वो किसी अन्य सीरियल को नहीं मिला.
देश के विभाजन से पहले रामानंद लाहौर फिल्म इंडस्ट्री में राइटर और एक्टर भी हुआ करते थे. इसीलिए फिल्मों में काम करने के लिए वो दिल्ली से मुंबई पहुंचे थे. रामानंद चोपड़ा से रामानंद सागर बनने के पीछे भी एक दिलचस्प किस्सा है.
बता दें कि रामानंद ने इलाज के दौरान डायरी लिखना शुरू कर दिया था. उन्होंने 'मौत के बिस्तर से डायरी पेशेंट की' कॉलम लिखना शुरू कर दिया था. अखबार के संपादक भी रामानंद के कॉलम को पढ़कर हैरान रह गए थे. रामानंद के कॉलम ने संपादक का दिल छू लिया.
रामानंद सागर ने घूंघट, आरजू, प्रेम बंधन जैसी कई सुपरहिट फिल्मों को डायरेक्ट किया था. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत पृथ्वी थिएटर में स्टेज मैनेजर के रूप में की थी. इसके बाद रामानंद सागर ने रामायण बनाने का फैसला किया और लोगों तक इसे पहुंचाया.
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