सबसे बड़ी इंजीनियर मानी जाती हैं चिटियां लेकिन क्यों?
इन दिनों GI टैग मिलने के कारण उड़ीसा की चीटियों की चटनी काफी सुर्खियां बटोर रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं ये नन्हीं सी चीटियां इकोसिस्टम की इंजीनियर मानी जाती हैं. जो अपनी जिंदगी में इतना काम करती हैं जो सुनकर आप जानकर दंग रह जाएंगे.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appआपको शायद पता न हो लेकिन बता दें कि यही नन्हीं चीटियों को ग्लोबल सिटीजन भी कहा जा सकता है क्योंकि चीटियां बर्फीली जगहों से लेकर वर्षावन और शुष्क जगहों पर भी पाई जाती हैं सिवाए अंटार्कटिक और आइसलैंड के.
दुनिया में चीटियों की 12 हजार से ज्यादा प्रजातियों को लोग जानते हैं. हालांकि इनकी कई प्रजातियां ऐसी भी हैं जिन्हें अभी भी खोजा नहीं गया है. वहीं चीटियों के स्वभाव में भी वैरायटी होती है जैसे कुछ कारपेंटर होती हैं तो कुछ लकड़ी को तराशकर अपने लिए घर का निर्माण करती हैं. वहीं कुछ चीटियां दूसरी चीटियों के बच्चों को पकड़कर गुलाम बनाती हैं तो कुछ बीज जमा करती हैं.
इसके अलावा कुछ चीटियां अपने मुंह से रेशम निकालती हैं और अपने लिए घर बनाती हैं. इस घर में वो अकेले नहीं रहतीं बल्कि अपने पूरे परिवार के साथ रहती हैं. इसके अलावा चीटियां एक मोहल्ले में लाखों की संख्या में रहती हैं. वो अपना हर कार्य एक योजना बनाकर करती हैं चाहे वो खाना लाना हो या घर बनाना.
बता दें चीटियां धरती के बहुत काम की होती हैं. जैसे वो अनाज, सब्जी, पत्ते जैसी चीजों को सड़ाकर डींकपोज करने का काम करती हैं. वहीं जब वो मिट्टी खोदती हैं तो उस समय वो मिट्टी में ऑक्सीजन घोल रही होती हैं. इससे मिट्टी उजाऊ बनती है. इसके बाद पौधे और जानवरों द्वारा मिट्टी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है और उसी में उनकी मौत हो जाती है. इसे न्यूट्रिएंट साइक्लिंग कहा जाता है. इस कार्य में चीटियों की बहुत अहम भूमिका होती है इसीलिए उन्हें ईकोसिस्टम का इंजीनियर कहा जाता है.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -