आखिरी बर्थडे पर किन-किन लोगों से मिले थे बापू, जिंदगी को लेकर कही थी यह बात
महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतली बाई था. उनके पिता गुजरात के पोरबंदर में दीवान हुआ करते थे. गांधी जी के चार भाई थे. जिनका नाम हरिलाल, मणिलाल, रामदास और देवदास था. सिर्फ 13 साल की उम्र में ही महात्मा गांधी की कस्तूरबा गांधी से शादी हो गई थी.
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View In Appमहात्मा गांधी वकालत की पढ़ाई के लिए लंदन गए. इसके बाद वह वकालत की प्रैक्टिस के लिए लंदन के हाईकोर्ट से जुड़े. इसके बाद वह साउथ अफ्रीका गए. जहां उनके साथ नस्लीय भेदभाव हुआ जिसका उनके जीवन पर काफी गहरा असर पड़ा.
गांधी जी ने अपनी जिंदगी के लगभग 21 साल साउथ अफ्रीका में बिताए. इसके बाद वह साल 1915 में भारत वापस लौटे. जहां उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की और भारत की आजादी के लिए आंदोलन शुरू करने लगे. उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया.
गांधी जी देश में ख्याति प्राप्त हो गई थी. देश के बुजुर्ग से लेकर बच्चे तक उनके विचारों से प्रभावित होने लगे थे. देश आजाद हो चुका था लेकिन गांधी जी विभाजन के फैसले से खुश नहीं थे. और उसकी निराशा उनके चेहरे पर साफ देखी जा सकती थी.
2 अक्टूबर 1947 गांधी जी का 78वां जन्मदिन था एक तरह से कहें तो यह उनका आखिरी जन्मदिन था इस खास दिन गांधी जी के पास उनके लंबे समय तक सहयोगी रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल मौजूद थे और जन्मदिन की पार्टी की मेजबानी कर रहे थे घनश्याम दास बिरला और साथ ही कुछ उनके रिश्तेदार भी थे.
गांधी जी ने अपने जन्मदिन पर उपवास रखा और प्रार्थना की. इसके बाद उन्होंने चरखे के साथ समय बिताया. उन्होंने जन्मदिन के मौके पर कहा कि उपवास हृदय और आत्मा दोनों को शुद्ध करता है और उनका जीवन ईश्वर द्वारा बनाए गए हर छोटे-छोटे से मनुष्य के लिए समर्पित है.
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