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जब दुनिया में Hello इस्तेमाल नहीं होता था, तब लोग कैसे करते थे एक-दूसरे का अभिवादन?
और ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं होता बल्कि दुनिया के लगभग हर एक देश में होता है. कुछ देशों को छोड़कर. हेलो बोलने का रिवाज एकदम से शुरू नहीं हुआ, कहा जाता है कि टेलीफोन के आविष्कारक ग्राहम बेल की प्रेमिका का नाम हेलो था.
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View In Appऔर उन्होंने पहली बार अपनी प्रेमिका को कॉल किया था. इस वजह से दुनिया में हेलो इस्तेमाल किया जाने लगा. और इसे लोग अभिवादन में भी इस्तेमाल करने लगे. लेकिन बता दें तथ्यों के आधार पर कहा जाता है कि थॉमस अल्वा एडिसन ने हेलो शब्द को ईजाद किया था.
खैर कहानी जो भी हो हेलो की, लेकिन आज हम आपको हेलो के बारे में नहीं बल्कि. यह बताएंगे कि जब दुनिया में हेलो शब्द नहीं हुआ करता था. तब दुनिया में लोग एक दूसरे से कैसे अभिवादन किया करते थे. किस शब्द का इस्तेमाल किया करते थे.
दुनिया में अलग-अलग भाषाओं को बोलने वाले लोग रहते हैं. अभिवादन के लिए हेलो आज भी हर जगह इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. जब हेलो नहीं था तब अलग-अलग देशों में वहां की भाषा के शब्द इस्तेमाल किए जाते थे.
हेलो के जो सबसे करीब शब्द आता है वह है होला यह स्पेनिश भाषा का शब्द है. हेलो के पहले भी स्पेन में इसका इस्तेमाल किया जाता था. और स्पेनिश बोलने वाले लोग इसका इस्तेमाल करते थे. वहीं बात की जाए तो लैटिन भाषा में साल्वे या आवे शब्द का इस्तेमाल किया जाता था.
यहूदी लोग शालोम तो मुस्लिम लोग अस-सलाम-अलैकुम इन शब्दों का इस्तेमाल किया करते थे. कुछ जगहों पर हाथ मिलाया जाते थे, भारत में हाथ जोड़कर अभिवादन किया जाता था. तो भारत में वहीं नमस्ते. नमस्कार और प्रणाम जैसे शब्द इस्तेमाल किए जाते थे.
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