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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
स्पेस में एस्ट्रोनॉट्स को कितनी बार लगती है भूख, कैसे बनाते हैं खाना?
तो बता दें कि जब भी कोई इंसान अंतरिक्ष में भेजा जाता है तो उसके साथ हर दिन 1.7 किलोग्राम के हिसाब से खाना भेजा जाता है, लेकिन इसमें 450 ग्राम तो सिर्फ कंटेनर होता है, जिसमें खाना पैक कर भेजा जाता है.
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View In Appस्पेस में ग्रैविटी नहीं होती, इसलिए खाना खास तरीके से पकाया जाता है ताकि खराब न होने पाए. अंतरिक्ष यात्री को इसे 48 घंटे के अंदर खत्म करना होता है.
जब भेजते हैं, उसी वक्त इसे गर्म करके एल्यमिनियम या बाईमेटेलिक में पैक करते हैं. इससे वहां तक खाना गर्म रहता है. रेडिएशन रोकने की भी व्यवस्था इसमें होती है.
स्पेस में एस्ट्रोनॉट की भूख की बात की जाए तो कई बार उन्हें वहां भूख भी नहीं लगती, लेकिन वो अपने शरीर की जरुरतों को पूरा करने के लिए जरुरी खाना जरुर खाते हैं. वहीं खाना बनाने की बात की जाए तो वो अंतरिक्ष में खाना नहीं बनाते बल्कि धरती से ही उन्हें खाना भेजा जाता है.
स्पेस के लिए खाना रखते समय कुछ और चीजों का ध्यान रखा जाता है, जैसे खाने में नमी बिल्कुल न हो या हो तो बहुत कम. इसीलिए ज्यादातर ड्राईफ्रूड साथ में दिया जाता है. वहां दालें जैसी चीज को भी पानी निकालकर पैक करके भेजा जाता है. मूंगफली, चॉकलेट भी अंतरिक्ष यात्री साथ लेकर जाते हैं. पीने वाली चीजें पाउडर फार्म में भेजी जाती हैं. वहां गर्म पानी मिलाकर पीते हैं.
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