आखिर कैसे मापते हैं समुद्र की दूरी, क्या जानते हैं आप?
प्राचीन काल में समुद्र की दूरी नापने के लिए कई तरीके अपनाए जाते थे. जैसे प्राचीन नाविक तारों और सूर्य की स्थिति का उपयोग करके समुद्र में अपनी स्थिति का अनुमान लगाते थे.
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View In Appइसके अलावा नाविक यह भी अनुमान लगाते थे कि एक निश्चित गति से कितने समय में वो एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंच सकते हैं. साथ ही पानी के रंग और समुद्री जीवों की उपस्थिति के आधार पर भी समुद्र की दूरी का अनुमान लगाया जाता था.
हालांकि आधुनिक समय में समुद्र की दूरी नापने के तरीकों में बदलाव हुआ है. अब समुद्र में दूरी मापने के लिए समुद्री मील का उपयोग किया जाता है. एक समुद्री मील लगभग 1.852 किलोमीटर के बराबर होता है. इसके अलावा GPS उपग्रहों का उपयोग करके किसी भी स्थान पर सटीक स्थिति का पता लगाया जा सकता है.
सोनार का उपयोग समुद्र की गहराई और समुद्र तल की बनावट का पता लगाने के लिए किया जाता है और रेडार का उपयोग जहाजों और अन्य वस्तुओं की दूरी और दिशा का पता लगाने के लिए किया जाता है.
हाइड्रोग्राफी एक विज्ञान है जिसमें समुद्रों और महासागरों का अध्ययन किया जाता है. हाइड्रोग्राफर समुद्री चार्ट बनाते हैं, जिनमें समुद्र की गहराई, चट्टानें, और अन्य खतरे दिखाए जाते हैं.
समुद्र की दूरी कई चरणों में मापी जाती है. सबसे पहले प्रारंभिक बिंदु और अंतिम बिंदु का निर्धारण किया जाता है. फिर GPS, सोनार और रेडार जैसे उपकरणों का उपयोग करके डेटा इकट्ठा किया जाता है. एकत्रित डेटा का विश्लेषण करके दूरी की गणना की जाती है. इसके बाद समुद्री चार्ट का उपयोग करके मार्ग की प्लानिंग की जाती है.
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