आखिर किसी देश की सीमा को समुद्र में कैसे किया जाता है तय? जान लीजिए आज
बता दें समुद्र में सीमाएं तय करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून संहिता (United Nations Convention on the Law of the Sea या UNCLOS) नामक एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है. यह समझौता समुद्र के उपयोग और संरक्षण से संबंधित सभी पहलुओं को नियंत्रित करता है.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appअब सवाल ये उठता है कि इस कानून का इस्तेमाल समुद्र की सीमाओं को तय करने के लिए किया कैसे जाता है? तो बता दें कि आधार रेखा से 12 समुद्री मील की दूरी तक का क्षेत्र क्षेत्रीय समुद्र कहलाता है. इस क्षेत्र में संबंधित देश का पूर्ण संप्रभु अधिकार होता है.
वहीं आधार रेखा से 200 समुद्री मील की दूरी तक का क्षेत्र अनन्य आर्थिक क्षेत्र कहलाता है. इस क्षेत्र में संबंधित देश को प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने का खास अधिकार होता है.
ऐसे में जरुरी समुद्री क्षेत्रों के बारे में भी जान लेते हैं. तो बता दें कि महाद्वीपीय शेल्फ समुद्री सीमा के लिए बहुत जरुरी है. यह समुद्र तल का वह ढालू भाग होता है जो तट से समुद्र के अंदर की ओर जाता है. इस क्षेत्र में भी संबंधित देश को प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने का अधिकार होता है.
इसके अलावा अंतराष्ट्रिय जल समुद्र का वो हिस्सा होता है जो किसी भी देश के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. इस क्षेत्र में सभी देशों के जहाजों को स्वतंत्रतापूर्वक आने-जाने का अधिकार होता है.
हालांकि कई बार दो या दो से ज्यादा देश किसी द्वीपीय क्षेत्र पर अपना दावा करते हैं, जिससे समुद्री सीमा को लेकर विवाद पैदा हो जाता है.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -