कोहरे में रनवे पर फ्लाइट की हेडलाइट भी बेकार, तो कैसे सुरक्षित लैंड कराते हैं पायलट?

बता दें कि फ्लाइट में कई तरह के हेडलाइट होते हैं,जिसका इस्तेमाल अलग-अलग मौकों पर किया जाता है. हालांकि आसमान में लाइट की जरूरत नहीं होती है. वहां पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल के जरिए फ्लाइट उड़ान भरती हैं.
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फ्लाइट के आगे हिस्से में अगर आपने कभी ध्यान दिया होगा, तो कई तरह की लाइट्स लगी होती हैं. जिसमें टेक ऑफ लाइट,विंग स्कैन लाइट,एंटी कोलिजन बीकन,लैंडिंग लाइट शामिल है. इन सभी लाइट्स का अलग-अलग मौकों पर इस्तेमाल किया जाता है.

पायलट को रास्ता दिखाने के लिए HSI यानी होरिजेंटल सिचुएशन इंडिकेटर का इस्तेमाल किया जाता है. इसे देखकर पायलट को बड़े ही आसानी से पता चल जाता है कि किस तरफ जाना है और किधर नहीं जाना है.
एयरपोर्ट पर लैंडिग के समय भी ये तकनीक काम करती है. इसके अलावा पायलट के पास लगे स्क्रीन में एक रेखा की तरह रास्ता दिखाने का भी काम करते हैं.
इसके अलावा सबसे अहम ये होता है कि पायलट हमेशा एयर ट्रैफिक कंट्रोल से जुड़े होते हैं, जहां उन्हें रास्ते की जानकारी मिलती है.
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