भारत में भी है चीन जैसी कई जगह, जहां के लोग खाते हैं कीड़े-मकौड़े! 1500 रुपये किलो में बिकती हैं चींटियां
भारत के उत्तर पूर्व में रेशम के कीड़ों या पोलू की कई नस्लें पाई जाती हैं. इन्हें कई लोग अपने घर में पालते हैं. पालने के पीछे दो मुख्य वजह हैं. पहली रेशम का धागा बनाना और दूसरी अपना पेट भरना. आपको जानकर हैरानी होगी कि असम में रेशम का कीट 600-700 रुपये और लाल चींटियां 1000-1,500 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकती हैं. कई लोग इन्हें खाने के लिए खरीदते हैं.
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View In Appओडिसा में रायगढ़ जिले के लोग खजूर वाले कीड़े और लाल चींटी को स्वाद से खाते हैं. खास तौर पर यह जनजातीय लोग ज्यादा खाते हैं. उनका कहना है कि यह स्वादिष्ट और पोषक है. इसके साथ ही, वे यह भी बताते हैं कि उनके पूर्वज इन कीड़ों को खाया करते थे. बस वहीं, से कीड़ों को खाने की यह चैन चली आ रही है.
रायगढ़ जिले में रहने वाले जनजातीय लोग चावल के साथ कीड़े खाते हैं. वे चावल को तल लेते हैं और फिर कीड़ों को किसी ग्रेवी की तरह इस्तेमाल कर खाते हैं. यहां के लोगों की भोजन लिस्ट में लाल चीटिंयों के अंडे भी शामिल हैं. लाल चीटिंयों के अंडों को रागी के आटे में मिलाकर चावल के साथ खाया जाता है.
नगालैंड की नगा ट्राइब्स में तो चमगादड़ को ही खाया जाता है. हां, हम जानते हैं कि चमगादड़ का नाम सुनकर आपके दिमाग में चीन और कोरोना आ गया होगा, लेकिन यह सच है कि नागालैंड में चमगादड़ को खाया जाता है. इतना ही नहीं, यहां के लोग लकड़ी पर रहने वाले कीड़े और रेशम के कीड़े भी खाते हैं. यहां के लोग तेल में भूनकर कीड़ों को खाते हैं.
शायद आपके लिए यह सब पढ़ना आश्चर्यजनक होगा, लेकिन यह कोई अनोखी बात नहीं है. भारत में मध्य प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, मेघालय, नागालैंड, असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में कीड़ों को खाने की प्रथा चलती आ रही है. यहां के लोग आज तक कीड़ों को खा रहे हैं. कर्नाटक के कुछ एरिया में शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों जीवित दीमक खिलाई जाती है. मध्य प्रदेश में एक जनजाति चीटियों का लार्वा खाती है. भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में लोग सबसे ज्यादा कीड़ों को खाते हैं.
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