राज्य सभा सांसद की सैलरी ज्यादा होती है या लोकसभा सांसद की, जानें दोनों में कितना अंतर?
भारत में संसद के दोनों सदनों के सांसदों की सैलरी और भत्ते लगभग एक जैसे होते हैं, क्योंकि ये सभी सांसद भारतीय संसद के सदस्य होते हैं, जिनकी सैलरी और भत्ते पार्लियामेंटरी एक्ट के तहत निर्धारित होते हैं.
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View In Appहालांकि, राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों के बीच कुछ अंतर हो सकती हैं, जो कार्यशैली, सदस्यता और प्रतिनिधित्व के आधार पर होती हैं, लेकिन इनकी सैलरी में कोई बड़ा अंतर नहीं है.
संसद के नियमों और कानूनों के तहत लोकसभा सांसद की सैलरी तय की जाती है. 2020-21 के वित्तीय वर्ष में लोकसभा सांसदों की बेसिक सैलरी 1,00,000 रुपये प्रति माह निर्धारित की गई थी.
इसके अलावा, सांसदों को डेली अलाउंस, भत्ते, यात्रा भत्ता और टीए (Travel Allowance) भी मिलते हैं. साथ ही संसद सत्र के दौरान डेली अलाउंस भी मिलता है और अन्य भत्ते जैसे कि संसद भवन में बैठने की सुविधा, सरकारी आवास आदि भी सांसदों को मिलते हैं.
वहीं राज्यसभा सांसदों की सैलरी और भत्ते भी लोकसभा सांसदों के समान होते हैं. राज्यसभा के सदस्य भी वही नियम और भत्ते पाते हैं, जो लोकसभा के सांसदों को मिलते हैं. राज्यसभा के सांसद की बेसिक सैलरी 1,00,000 रुपये प्रति माह होती है.
राज्यसभा में सांसदों का चुनाव राज्य विधानसभाओं और निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है, इसलिए इनकी कार्यशैली और दायित्व कुछ अलग होते हैं. फिर भी सैलरी और भत्तों के मामले में राज्यसभा और लोकसभा सांसदों में कोई खास अंतर नहीं है.
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