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चंद्रमा पर न कोई स्पेस स्टेशन है, न लॉन्चिंग पैड... फिर वहां से अंतरिक्ष यात्री वापस कैसे आए होंगे? जानिए

पृथ्वी से चंद्रमा की तरफ अंतरिक्ष यान को किसी स्पेस स्टेशन से पूरी तैयारी करके लॉन्च किया जाता है. लेकिन क्या कभी सोचा है कि चंद्रमा पर लैंड करने के बाद अंतरिक्ष यान धरती पर वापस कैसे आता है?

पृथ्वी से चंद्रमा की तरफ अंतरिक्ष यान को किसी स्पेस स्टेशन से पूरी तैयारी करके लॉन्च किया जाता है. लेकिन क्या कभी सोचा है कि चंद्रमा पर लैंड करने के बाद अंतरिक्ष यान धरती पर वापस कैसे आता है?

चंद्रयान-3

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भारत में अंतरिक्ष यान को लॉन्च करने के लिए दो लॉन्च पैड हैं. पहला केरल के तिरुवनंतपुरम में थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्च स्टेशन (TERLS) और दूसरा है सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC), जो आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित है. चंद्रयान-3 को इसी स्टेशन से लॉन्च किया जाएगा.
भारत में अंतरिक्ष यान को लॉन्च करने के लिए दो लॉन्च पैड हैं. पहला केरल के तिरुवनंतपुरम में थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्च स्टेशन (TERLS) और दूसरा है सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC), जो आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित है. चंद्रयान-3 को इसी स्टेशन से लॉन्च किया जाएगा.
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चंद्रमा पर कोई स्पेस सेंटर अथवा स्पेसक्राफ्ट लॉन्चर नहीं होता है. आपने विडियोज में देखा होगा कि किसी स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च करने के लिए कितनी तैयारियां की जाती हैं. पहले उसे रॉकेट के साथ असेंबल किया जाता है, उसके बाद लॉन्चिंग पैड से लॉन्च किया जाता है. इसमें दो, चार या दस-बीस नहीं, बल्कि पूरी-पूरी टीमें काम करती हैं.
चंद्रमा पर कोई स्पेस सेंटर अथवा स्पेसक्राफ्ट लॉन्चर नहीं होता है. आपने विडियोज में देखा होगा कि किसी स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च करने के लिए कितनी तैयारियां की जाती हैं. पहले उसे रॉकेट के साथ असेंबल किया जाता है, उसके बाद लॉन्चिंग पैड से लॉन्च किया जाता है. इसमें दो, चार या दस-बीस नहीं, बल्कि पूरी-पूरी टीमें काम करती हैं.
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कोई भी चीज पृथ्वी से अंतरिक्ष में तभी जा सकती है, जब वो पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र को पार कर जाए. विज्ञान के नियमों के अनुसार, कोई भी वस्तु पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण को तभी पर कर सकती है, जब उसका न्यूनतम वेग 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड हो. इसीलिए स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च पैड से लॉन्च किया जाता है, जिससे यह सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा (earth orbit) से बाहर निकलकर अंतरिक्ष में प्रवेश कर सके.
कोई भी चीज पृथ्वी से अंतरिक्ष में तभी जा सकती है, जब वो पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र को पार कर जाए. विज्ञान के नियमों के अनुसार, कोई भी वस्तु पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण को तभी पर कर सकती है, जब उसका न्यूनतम वेग 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड हो. इसीलिए स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च पैड से लॉन्च किया जाता है, जिससे यह सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा (earth orbit) से बाहर निकलकर अंतरिक्ष में प्रवेश कर सके.
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पृथ्वी से चंद्रमा पर यान भेजने के लिए कई स्पेस सेंटर हैं, लेकिन चंद्रमा पर स्पेस सेंटर अभी तक नहीं बनाया गया है. फिर भी, अंतरिक्ष यान आसानी से पृथ्वी पर वापस लौट आता है. अगर आपको लगता है कि यह छत से जमीन पर कूदने जैसा होता है, तो आप गलत हैं, क्योंकि इसमें प्रकृति की प्राकृतिक तकनीक मदद करती है.
पृथ्वी से चंद्रमा पर यान भेजने के लिए कई स्पेस सेंटर हैं, लेकिन चंद्रमा पर स्पेस सेंटर अभी तक नहीं बनाया गया है. फिर भी, अंतरिक्ष यान आसानी से पृथ्वी पर वापस लौट आता है. अगर आपको लगता है कि यह छत से जमीन पर कूदने जैसा होता है, तो आप गलत हैं, क्योंकि इसमें प्रकृति की प्राकृतिक तकनीक मदद करती है.
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यह पूरा खेल पलायन वेग (escape velocity) पर आधारित है. पृथ्वी का पलायन वेग 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड होता है, जबकि चंद्रमा का पलायन वेग केवल 2.4 किलोमीटर प्रति सेकंड है. भेजे गए अंतरिक्ष यान में उपस्थित इंजन इतना प्रबल होता है कि स्पेसक्राफ्ट को आसानी से 2.4 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति तक पहुंचा सकता है और अंतरिक्ष यान को आसानी से पृथ्वी पर वापस लौटने में सहायता करता है.
यह पूरा खेल पलायन वेग (escape velocity) पर आधारित है. पृथ्वी का पलायन वेग 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड होता है, जबकि चंद्रमा का पलायन वेग केवल 2.4 किलोमीटर प्रति सेकंड है. भेजे गए अंतरिक्ष यान में उपस्थित इंजन इतना प्रबल होता है कि स्पेसक्राफ्ट को आसानी से 2.4 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति तक पहुंचा सकता है और अंतरिक्ष यान को आसानी से पृथ्वी पर वापस लौटने में सहायता करता है.

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