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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कहते हैं मुसीबत के समय रेत में सर छुपा लेता है शुतुरमुर्ग, लेकिन असली वजह कुछ और ही है?
साइंसएबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, शुतुरमुर्ग के ऐसा करने की वजह उनके अंडों से जुड़ी हुई है. बाकी पक्षियों की तरह शुतुरमुर्ग उड़ नहीं सकते हैं, इसलिए ये अपना घोसला पेड़ पर नहीं, बल्कि जमीन में ही गड्ढा खोदकर बनाते हैं.
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View In Appशुतुरमुर्ग के अंडों का आकार नारियल के बराबर या इससे थोड़ा बड़ा भी हो सकता है. अंडों को रखने के लिए ही ये जमीन में गड्ढा करते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, अंडे सेने की जिम्मेदारी सिर्फ मादा की नहीं, बल्कि नर शुतुरमुर्ग की भी होती है.
अंडों से बच्चों को निकालने के लिए इन्हें गर्माहट देनी होती है. इसलिए शुतुरमुर्ग रेत में गड्ढे बनाकर उनमें अपने अंडे रख देते हैं. इसके बाद ये इन गड्ढों में सिर डालकर उन अंडों को पलटते रहते हैं, ताकि अंडे को हर तरफ से गर्मी मिल सके और बच्चा उससे बाहर आ सके.
शुतुरमुर्ग का एक ही अंडा मुर्गी के दर्जन भर से अधिक अंडों के आकार के बराबर होता है. इन अंडों से 42 से 45 दिन बाद बच्चे निकल आते हैं. बच्चों के अंडे से बाहर निकलने तक शुतुरमुर्ग कई बार जमीन में सिर डालकर इन्हें चेक करते हैं. ऐसा करने के दौरान देखने वाले को लगता है कि इसने जमीन में सिर छिपा रखा है.
रिपोर्ट कहती है कि अगर ये मुसीबत के समय खुद को बचाने के लिए सिर को जमीन के अंदर डालेंगे तो इनके लिए सांस ले पाना मुश्किल हो जाएगा. इसलिए मुसीबत के समय रेत में सर छुपाने वाली बात सिर्फ भ्रम है.
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