उत्तराखंड में पाए जाने वाले इस खास फूल का बनता है जैम-सब्जी और जूस,हृदय रोगियों के लिए फायदेमंद
हिमालयी क्षेत्रों में 1500 से 4000 मीटर की ऊंचाई पर बुरांश का पेड़ पाया जाता है. बुरांश के फूलों की बात करें तो ये सिर्फ लाल रंग का नहीं होता है. बल्कि ये कई रंगों में पाया जाता है. लेकिन उत्तराखंड में ये लाल और सफेद रंगों में पाया जाता है.
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View In Appबुरांश को वन अधिनियम 1974 में संरक्षित वृक्ष घोषित किया गया है. क्योंकि इसकी लकड़ियां बहुत मूल्यवान होती है. बुरांश की एरिकेसिई फैमिली के 300 प्रजातियों में से एक है।
बुरांश में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. बुरांश में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीडायरिल और एंटी डाइबिटिक गुण पाये जाते हैं. इस जूस का उपयोग हृदय रोगी, किडनी, लीवर, रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने के लिए किया जाता है.
वहीं सफेद बुरांश जहरीला होता है. सफेद बुरांश के फूलों के जूस को पीने योग्य नहीं माना जाता है. सफेद बुरांश के फूलों के साथ ही इसकी पत्तियां जैविक खाद बनाने के लिए काम में लाई जाती हैं.
बुरांश के फूलों से जैम, स्क्वास, जेली तथा काढ़ा भी बनाया जाता है. जबकि लकड़ी का प्रयोग ईधन, फर्नीचर और कृषि उपकरण बनाने के लिए किया जाता है. वर्तमान में बुरांश पहाड़ों पर लोगों के लिए रोजगार का एक जरिया बन रहा है.
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