प्रयागराज और हरिद्वार के कुंभ में क्या है अंतर, किसकी है ज्यादा मान्यता?
बता दें कि प्रयागराज में जो कुंभ मेला लग रहा है, ये महाकुंभ है. ये हर 12 साल पर आयोजित होता है. बता दें कि आखिरी बार महाकुंभ प्रयागराज में 2013 में आयोजित किया गया था, जिसके बाद अब 2025 में प्रयागराज में फिर से कुंभ मेले का आयोजन हो रहा है.
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View In Appअब सवाल ये है कि क्या कुंभ मेले का आयोजन सिर्फ प्रयागराज में ही होता है. इसका जवाब है नहीं. कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज के अलावा हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में भी किया जाता है.
बता दें कि यह मेला 12 साल के अंतराल पर मनाया जाता है, इसके लिए चारों स्थानों को बारी-बारी से चुना जाता है. इस दौरान श्रद्धालु गंगा, क्षिप्रा, गोदावरी और संगम में स्नान करते हैं.
वहीं अर्धकुंभ हर छह साल के बाद मनाया जाता है. बता दें कि अर्धकुंभ केवल दो स्थानों पर आयोजित किया जाता है, जिसमें पहला प्रयागराज और दूसरा हरिद्वार है. ये हर छह साल बाद आयोजित किया जाता है.
अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि कुंभ मेला कहां होगा, इसका चयन कौन करता है. बता दें कि इसका निर्णय ज्योतिषीय गणना के आधार पर किया जाता है. इसके लिए हिंदू ज्योतिष के प्रमुख ग्रहों हैं – बृहस्पति और सूर्य
बता दें कि हरिद्वार में कुंभ तब लगता है, जब बृहस्पति, कुंभ राशि में होता है. वहीं सूर्य मेष राशि में गोचर कर रहे होते हैं.
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