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'नाच न जाने तो आंगन टेढ़ा' क्या है इस कहावत का मतलब, क्या सचमुच टेढ़ा हो जाता है आंगन?
गांव-शहर में लोगों को कई बार किसी बातचीत के दौरान 'नाच न जाने तो आंगन टेढ़ा' कहते हुए सुना जाता है? इसका मतलब कई लोगों को पता नहीं है. आइए जानते हैं.

नाच न जाने तो आंगन टेढ़ा का क्या मतलब होता है?
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'नाच न जाने तो आंगन टेढ़ा' का मतलब यह नहीं होता है कि जिसे नाचना नहीं आता है उसके लिए आंगन टेढ़ा है. बल्कि इसका मतलब कुछ और है.
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इस कहावत का इस्तेमाल तब किया जाता है. जब कोई अपनी असमर्थता को छुपाने के लिए कोई बहाना बना देता है.
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यानी आपसे कोई कहे कि आप एक रिसर्च आर्टिकल लिख दीजिए. आपको यह काम नहीं आता है तब आप यह कह सकते हैं कि यार यह काम तो पत्रकार लोगों का हमारे टाइप का यह काम नहीं है. यानी आप सीधे तौर पर बहाना बना रहे हैं.
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आसान भाषा में कहें तो जब कोई अपनी असमर्थता छिपा लेता है तब वह बहाना बनाता है. ऐसे लोगों के लिए यह मुहावरा बना हुआ है.
Published at : 01 Dec 2023 07:46 PM (IST)
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नयन कुमार झाराजनीतिक विश्लेषक
Opinion