यह शासक जिस देश के खिलाफ लड़ा, उसी का मसीहा बन गया, दिलचस्प है स्टोरी
कोर्सिका के नेपोलियन का जन्म 1769 में हुआ था, जब फ्रांस ने उसे जीत लिया था. उनकी बचपन से ही कोर्सिका के लोगों का नेपोलियन के फ्रांस के खिलाफ जज्बा था. पहले उन्होंने अपनी स्थानीय भूमि और स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाई थी.
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View In Appबाद में उन्होंने अपनी प्रतिभा और दृढ़ संकल्प से फ्रांस की सेना का नेतृत्व किया और अपने कार्यों से लोगों का दिल जीता. इससे नेपोलियन को फ्रांस के लोगों ने अपना महान हीरो माना, और उनकी छवि फ्रांसीसी इतिहास में शानदार हीरो के रूप में बनी.
नेपोलियन की प्रारंभिक शिक्षा फ्रांस में हुई थी. उन्हें जूलियस सीजर और एलेक्सैंडर की विचारधारा पर गहरा प्रभाव पड़ा. वे पेरिस की मिलिट्री एकेडमी में भी अध्ययन करते रहे और 1785 में उन्हें डिग्री प्राप्त हुई. नेपोलियन को फ्रांसीसी सेना में तोपखाना रेजिमेंट के सेकेंड लेफ्टिनेंट की पद्वी प्राप्त हुई थी.
1789 में फ्रांस में लोकतांत्रिक क्रांति हुई. जनता ने बस्तील जेल पर हमला करके कैदियों को मुक्त कर लिया. इस क्रांति के प्रारंभ में नेपोलियन ने अपना समय कोर्सिका में बिताया. परंतु बाद में उन्हें अपनी योद्धा भूमिका निभाने का मौका मिला. उन्हें ब्रिटेन की सेना को हराने के बाद केवल 24 साल की उम्र में ब्रिगेडियर जनरल बनाया गया था. आगे बढ़ते हुए, नेपोलियन ने अपनी बहादुरी और युद्ध कौशल से और भी बड़ी-बड़ी यूरोपीय शक्तियों को परास्त किया. एक समय पर, उन्होंने उत्तरी इटली में बेताज़ बादशाह का राज किया था.
1802 में नेपोलियन की महान योजनाओं और शानदार प्रशासनिक क्षमता के कारण एक संवैधानिक संशोधन ने उन्हें फ्रांस के पहले कॉन्सुल बना दिया गया जिसकी स्थिरता जीवन भर रहने की थी. समय के साथ, परिस्थितियाँ ऐसी बनीं कि 1804 में नेपोलियन ने पोप की उपस्थिति में अपने को बादशाह घोषित कर दिया.
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