अयोध्या का राम मंदिर ही नहीं, देश के इन मंदिरों में भी जड़े हैं सोने
पंजाब के अमृतसर में स्थित गोल्डन टेम्पेल के श्री हरिमंदिर साहिब की ऊपरी मंजिल के बाहरी हिस्से को 400 किग्रा सोने की परत से जड़वाया गया है. सोने की इसी परत के कारण इसका नाम गोल्डन टेम्पल पड़ा. श्री हरिमंदिर साहिब में सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ 'गुरु ग्रंथ साहिब' रखा हुआ है. ये भारत के सबसे धनी गुरुद्वारों में गिना जाता है.
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View In Appआंध्र प्रदेश के वेंकट तिरुमला हिल की सातवीं चोटी पर बने श्री वेंकटेश्वर मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की 8 फीट ऊंची प्रतिमा है. मंदिर के गर्भ गृह को सोने की कारीगरी से सजाया गया है. इस जगह को आनंद निलय दिव्य विमान कहा जाता है. इसके अलावा मुख्य प्रतिमा को कीमती पत्थरों से भी सजाया गया है.
उत्तर प्रदेश के बनारस में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर को 1780 में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने बनवाया था. वहीं पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने इसके दो शिखर को सोने से जड़वाया था. जिसके बाद तीसरे शिखर को उत्तर प्रदेश सरकार के धार्मिक व सांस्कृतिक मंत्रालय ने सोने से जड़वाया था. इस मंदिर के निर्माण में कुल 1500 किग्रा गोल्ड का इस्तेमाल किया गया है.
तिरुअनंतपुरम में बना श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. बता दें कि मंदिर में स्वर्ण प्रतिमा, स्वर्ण आभूषण समेत कीमती पत्थरों को मिलाकर करीब 90 हजार करोड़ की कुल संपत्ति है. मंदिर में सोने से बने दो नारियल भी हैं. इन्हें कीमती पत्थरों से सजाया गया है. इसके अलावा मंदिर के 28 खंभों पर सोने की परत चढ़ाई गई है. वहीं इसके 7 मंजिला गोपुरम के सातों शिखर सोने से जड़े हुए हैं.
तमिलनाडु का वेल्लूर गोल्डन टेम्पल देवी महालक्ष्मी को समर्पित है. इसे लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से भी पहचाना जाता है. मंदिर का मंडप और विमान शुद्ध सोने से सजाया गया है. करीब 100 एकड़ में फैले मंदिर परिसर में सैकड़ों प्रतिमाओं को स्वर्णकारों ने करीने से सजाया है. मंदिर का एक्सटीरियर सोने की प्लेटों और परत से डिजाइन किया गया है. इस मंदिर की कुल लागत 300 करोड़ रुपये है. इसके निर्माण में 1500 किग्रा सोने का इस्तेमाल किया गया है.
जम्मू-कश्मीर की त्रिकूट हिल्स पर स्थित माता वैष्णोदेवी मंदिर में एक प्राकृतिक गुफा है. इस गुफा के मुख्य दरवाजे पर सोने, चांदी और तांबे का काम किया गया है. दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कारीगरों ने इस द्वार में 11 किग्रा गोल्ड, 1,100 किग्रा चांदी और 1,200 किग्रा तांबे का इस्तेमाल किया है. हर साल कई सौ किग्रा सोना, चांदी चढ़ावे के तौर पर मंदिर में आता है.
सबरीमला का भगवान अय्यपा मंदिर के गर्भगृह की छत को सोने की परत से सजाया गया है. इसकी छत में 32 किग्रा गोल्ड, 1900 किग्रा तांबे का काम किया गया है. इस काम में करीब 18 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे.
महाराष्ट्र के शिरडी में मौजूद साई बाबा मंदिर के गर्भगृह को कई किग्रा सोने से सजाया गया है. साई बाबा मंदिर को 1922 में बनवाया गया था. ये मंदिर मुंबई से करीब 296 किमी दूर है. शिरडी के साई बाबा मंदिर को देश के सबसे अमीर मंदिरों में गिना जाता है. हर साल मंदिर में कई सौ किलो सोने का चढ़ावा भी आता है.
मुंबई में भगवान गणेश को समर्पित सिद्धिविनायक मंदिर के दरवाजों पर सोने की परत चढ़ाई गई है. इसके अलावा दरवाजों को सोने की पत्तियों से भी सजाया गया है. बता दें कि गर्भगृह में भी सोने की परत चढ़ाई गई है. इसके अलावा मंदिर की अंदरूनी दीवारों पर शुद्ध सोने का काम किया गया है. जानकारी के मुताबिक मंदिर में सोने का काम पूरा करने में कारीगरों को 6 महीने लग गए थे.
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