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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
सबसे पहले साबुन कहां बना, आखिर किसके दिमाग में आया था आइडिया
अमेरिकन क्लीनिंग इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक प्राचीन बेबीलोन सभ्यता से भी हजारों साल पहले साबुन के इस्तेमाल के प्रमाण मिले हैं. पुरातत्वविदों को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि प्राचीन बेबीलोन के लोग 2800 ईसा पूर्व साबुन बनाना जानते थे. क्योंकि उस वक्त के मिट्टी के सिलेंडरों में साबुन जैसी सामग्री मिली है. बता दें कि इन पर लिखा था कि हम 'राख के साथ उबली हुई चर्बी' (साबुन बनाने की एक विधि) का उपयोग सफाई के लिए करते हैं.
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View In Appपुराने अभिलेखों से यह भी पता चलता है कि प्राचीन मिस्रवासी नियमित रूप से स्नान करते थे. वहीं लगभग 1500 ईसा पूर्व के एक चिकित्सा दस्तावेज एबर्स पेपिरस में जानवरों और वनस्पति तेलों को एल्केलाइन साल्ट के साथ मिलाकर साबुन जैसी सामग्री बनाने का वर्णन किया गया है. इसका उपयोग त्वचा रोगों के इलाज के साथ-साथ शरीर को साफ करने के लिए भी किया जाता है.
इसके अलावा कपड़ों से तेल के दाग और मैल निकालने वाला साबुन सबसे पहले टे और राख से मिलाकर बनाया गया था. कहा जाता है कि करीब 4 हजार साल पहले रोमन महिलाएं जब टाइबर नदी के किनारे बैठकर कपड़े धो रही थीं, तभी नदी के ऊपरी सिरे से बलि चढ़ाए गए कुछ जानवरों का फैट बहकर आ गया था. जो नदी के किनारे मिट्टी में जम गया था. इसके बाद जब यह कपड़ों में लगा तो अनोखी चमक आ गई थी. जानकारी के मुताबिक फैट माउंट सापो से बहकर आया था, इसलिए इस मिट्टी को ‘सोप’ नाम दिया गया था. यहीं से साबुन का नाम आया था.
बता दें कि साबुन बनाने के लिए फैट और तेल की फैटी एसिड का उपयोग किया जाता है. इस एसिड को तीव्र एल्कालाइन के साथ मिलाया जाता है. इनके बीच होने वाली प्रतिक्रिया से जो अणु बनते है, उन्हें सरफेस एक्टिव एजेंट या सरफेक्टेंट्स कहते हैं. यही सरफेस टेंशन तोड़ने का काम करते हैं.
इसके अलावा साबुन में दो तरह के अणु होते हैं. एक वे जो पानी प्रेमी या हाइड्रोफिलिक होते हैं. और एक तेल प्रेमी या हाइड्रोफोबिक. हाइड्रोफोबिक तैलीय गंदगी से जाकर चिपक जाता है. पानी इस गंदगी को कपड़े से अलग करने का काम करता है. जब कपड़े को साफ पानी में धोया जाता है, तो साबुन के साथ ही गंदगी भी बह जाती है. इसलिए कपड़ा फिर चमकने लगता है. अब साबुनों में एल्कालाइन की जगह सोडियम हाइड्रोक्साइड या पोटेशियम हाइड्रोक्साइड का उपयोग किया जाता है, जबकि पहले इसकी जगह ‘वुड एश लाई’ का उपयोग होता था.
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