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गर्मी में बढ़ जाता है मच्छरों से खतरा, हर साल जाती है लाखों लोगों की जान
गर्मी आने के साथ ही मच्छरों का आतंक भी बढ़ चुका है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर साल मच्छरों के काटने से कितने लाख लोगों की जान चली जाती है. जानिए घरों में मच्छरों का होना कितना बड़ा खतरा होता है.

घरों में मच्छरों का होना बहुत आम बात माना जाता है. लेकिन कई बार ये मच्छर ही जान के दुश्मन बन जाते हैं.
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रोग नियंत्रण व रोकथाम केंद्र के एक शोध के मुताबिक दुनिया के सबसे घातक जीव हमारे घरों में पाए जाने वाले मच्छर हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक पूरी दुनिया में सिर्फ मच्छरों के काटने से हर साल 10 लाख लोगों की मौत हो जाती है.
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डब्ल्यूएचओ के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल सांप के काटने से 1.5 लाख लोगों की मौत होती है. वहीं कुत्तों के काटने पर होने वाले रेबीज से दुनियाभर में 60 हजार लोगों की हर साल मौत होती है.
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आसान भाषा में कहें तो सबसे खतरनाक मच्छर होते हैं. क्योंकि मच्छरों के काटने से सबसे घातक संक्रामक रोग मलेरिया होता है. वहीं मलेरिया लंबे समय से इंसानों के लिए जानलेवा बीमारी है.
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एनोफिलीज मच्छर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी आसानी से मलेरिया फैला देते हैं. यह बीमारी अफ्रीका, दक्षिणी एशिया और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में बहुत फैलती है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मलेरिया के कारण 2021 में दुनिया भर में 6 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.
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आसान भाषा में कहें तो मलेरिया छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और कम रोगप्रतिरोधी क्षमता वाले लोगों के लिए प्राणघातक साबित होता है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक अफ्रीका में मलेरिया से होने वाली मौतों में 80 फीसदी 5 साल से कम उम्र के बच्चों की होती है. इसके अलावा मच्छर डेंगू, चिकनगुनिया, जीका वायरस और फाइलेरिया जैसी खतरनाक बीमारियों को भी फैलाते हैं.
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बता दें कि घरों में और आस पास मच्छरों के पनपने के लिए सबसे जरूरी चीज पानी है. वहीं अक्सर इंसान अपने आस-पास पानी रखता है और पानी पर निर्भर रहता है. इसके अलावा मादा मच्छर को प्रजनन के लिए इंसान का खून चूसना जरूरी है. वहीं जब मादा मच्छर इंसान की त्वचा में अपना डंक घुसाकर खून चूसती है तो रोगाणुओं को एक व्यक्ति के रक्तप्रवाह से दूसरे में स्थानांतरित भी कर देती है. इससे मलेरिया समेत कई संक्रामक रोग होने की संभावना होती है.
Published at : 20 Apr 2024 08:06 PM (IST)
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डॉ ख्याति पुरोहितस्वतंत्र पत्रकार व अध्यापिका
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