एक्सप्लोरर

Body Temperature: शुरू होने वाला है गर्मी का तांडव, जानिए एक इंसान कितने तापमान तक की गर्मी सहन कर सकता है?

देश में गर्मी ने दस्तक दे दी है. राजधानी दिल्ली और एनसीआर समेत बाकी राज्यों में गर्म हवा चलनी शुरू हो गई हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक इंसान अधिकतम कितनी गर्मी या तापमान बर्दाश्त कर सकता है.

देश में गर्मी ने दस्तक दे दी है. राजधानी दिल्ली और एनसीआर समेत बाकी राज्यों में गर्म हवा चलनी शुरू हो गई हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक इंसान अधिकतम कितनी गर्मी या तापमान बर्दाश्त कर सकता है.

सवाल ये है कि कितने डिग्री का तापमान आपकी जान ले सकता है? वैज्ञानिकों ने एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा किया है. जिससे ये पता चलता है कि एक इंसान कितनी गर्मी बर्दाश्त कर सकता है.

1/8
वैज्ञानिकों ने रिसर्च में बताया है कि अगर एक स्वस्थ इंसान लगातार छह घंटे तक 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में रहता है. वहीं साथ में 100 फीसदी ह्यूमिडिटी होती है तो उस व्यक्ति की छह घंटे में मौत हो सकती है. वैज्ञानिकों ने बताया कि असल में ऐसे मौसम में शरीर से जो पसीना निकलता है पर वह भाप बनकर उड़ता नहीं है. इससे हीटस्ट्रोक होता है. जिसके बाद धीरे-धीरे करके अंग बेकार होने लगते हैं और व्यक्ति की मौत हो जाती है.
वैज्ञानिकों ने रिसर्च में बताया है कि अगर एक स्वस्थ इंसान लगातार छह घंटे तक 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में रहता है. वहीं साथ में 100 फीसदी ह्यूमिडिटी होती है तो उस व्यक्ति की छह घंटे में मौत हो सकती है. वैज्ञानिकों ने बताया कि असल में ऐसे मौसम में शरीर से जो पसीना निकलता है पर वह भाप बनकर उड़ता नहीं है. इससे हीटस्ट्रोक होता है. जिसके बाद धीरे-धीरे करके अंग बेकार होने लगते हैं और व्यक्ति की मौत हो जाती है.
2/8
नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के साइंटिस्ट कोलिन रेमंड ने बताया कि मानव शरीर की सहने की क्षमता ज्यादा नहीं है. वह 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में मर सकता है. इसे वेट बल्ब टेंपरेचर  कहते हैं. दक्षिण एशिया और पारस की खाड़ी में इस स्तर का तापमान सालभर में दर्जनों बार रिकॉर्ड किया गया है.
नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के साइंटिस्ट कोलिन रेमंड ने बताया कि मानव शरीर की सहने की क्षमता ज्यादा नहीं है. वह 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में मर सकता है. इसे वेट बल्ब टेंपरेचर कहते हैं. दक्षिण एशिया और पारस की खाड़ी में इस स्तर का तापमान सालभर में दर्जनों बार रिकॉर्ड किया गया है.
3/8
कोलिन ने बताया कि अच्छी बात ये है कि 35 डिग्री सेल्सियस तापमान और 100 फीसदी ह्यूमिडिटी वाला माहौल दुनिया में कहीं भी 2 घंटे से ज्यादा नहीं रहा है. इसकी वजह से सामूहिक स्तर पर मौत की घटनाएं नहीं हुई हैं. लेकिन अगर यह स्थिति छह घंटे तक कहीं पर भी होती हैं, तो बहुत मुसीबत हो सकती है.
कोलिन ने बताया कि अच्छी बात ये है कि 35 डिग्री सेल्सियस तापमान और 100 फीसदी ह्यूमिडिटी वाला माहौल दुनिया में कहीं भी 2 घंटे से ज्यादा नहीं रहा है. इसकी वजह से सामूहिक स्तर पर मौत की घटनाएं नहीं हुई हैं. लेकिन अगर यह स्थिति छह घंटे तक कहीं पर भी होती हैं, तो बहुत मुसीबत हो सकती है.
4/8
बता दें कि हर इंसान के शरीर की अपनी क्षमता होती है. इसके लिए सामाजिक और आर्थिक वजह भी मायने रखती है. इस दौरान अगर कोई खुद अच्छे से बचाता है और उसके पास शरीर को ठंडा रखने की व्यवस्था है तो उसकी मौत नहीं होगी. हालांकि इस दौरान वो बीमार हो सकता है. यूरोप में पिछले साल गर्मियों में 61 हजार लोग मरे थे. यूरोप में वेट बल्ब टेंपरेचर की स्थिति नहीं बनी थी.
बता दें कि हर इंसान के शरीर की अपनी क्षमता होती है. इसके लिए सामाजिक और आर्थिक वजह भी मायने रखती है. इस दौरान अगर कोई खुद अच्छे से बचाता है और उसके पास शरीर को ठंडा रखने की व्यवस्था है तो उसकी मौत नहीं होगी. हालांकि इस दौरान वो बीमार हो सकता है. यूरोप में पिछले साल गर्मियों में 61 हजार लोग मरे थे. यूरोप में वेट बल्ब टेंपरेचर की स्थिति नहीं बनी थी.
5/8
जिस हिसाब से ग्लोबल वॉर्मिंग हो रही है, उससे पॉसिबल है कि ज्यादा लोग गर्मी या उससे संबंधित मौसम से मारे जा सकते हैं. बता दें कि जुलाई महीने को मानव इतिहास का सबसे गर्म महीना माना गया है. इस वजह से साइंटिस्ट ये मान रहे हैं कि भविष्य में वेट बल्ब टेंपरेचर की घटनाएं ज्यादा जगहों पर अधिक मात्रा में हो सकती हैं.
जिस हिसाब से ग्लोबल वॉर्मिंग हो रही है, उससे पॉसिबल है कि ज्यादा लोग गर्मी या उससे संबंधित मौसम से मारे जा सकते हैं. बता दें कि जुलाई महीने को मानव इतिहास का सबसे गर्म महीना माना गया है. इस वजह से साइंटिस्ट ये मान रहे हैं कि भविष्य में वेट बल्ब टेंपरेचर की घटनाएं ज्यादा जगहों पर अधिक मात्रा में हो सकती हैं.
6/8
कोलिन रेमंड ने बताया कि पिछले 40 वर्षों में वेट बल्ब टेंपरेचर की घटनाएं दोगुनी से ज्यादा हुई हैं. वहीं जलवायु परिवर्तन की वजह से इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं. कहा जा रहा है कि अगले कुछ दशकों में दुनिया का तापमान 2.5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाएगा. ऐसे में 35 डिग्री सेल्सियस और 100 फीसदी ह्यूमिडिटी वाला माहौल ज्यादा बन सकते है. जो इंसानों के लिए खतरनाक साबित होगा.
कोलिन रेमंड ने बताया कि पिछले 40 वर्षों में वेट बल्ब टेंपरेचर की घटनाएं दोगुनी से ज्यादा हुई हैं. वहीं जलवायु परिवर्तन की वजह से इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं. कहा जा रहा है कि अगले कुछ दशकों में दुनिया का तापमान 2.5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाएगा. ऐसे में 35 डिग्री सेल्सियस और 100 फीसदी ह्यूमिडिटी वाला माहौल ज्यादा बन सकते है. जो इंसानों के लिए खतरनाक साबित होगा.
7/8
बता दें कि अगर 35 डिग्री सेल्सियस तापमान और 100 फीसदी ह्यूमिडिटी वेट बल्ब टेंपरेचर नहीं होता है, तो इंसान 46 डिग्री सेल्सियस और 50 फीसदी ह्यूमिडिटी वाली कंडिशन ह्यूमिडिटी वाली कंडिशन में भी मारा जा सकता है. इसकी जांच करने के लिए पेंसिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में कुछ स्वस्थ युवाओं पर तापमान की जांच की गई है. उनके शरीर का कोर टेंपरेचर 30.6 डिग्री सेल्सियस पर ही बिगड़ने लगा था. 35 डिग्री सेल्सियस तक तो जा ही नहीं सकता था.
बता दें कि अगर 35 डिग्री सेल्सियस तापमान और 100 फीसदी ह्यूमिडिटी वेट बल्ब टेंपरेचर नहीं होता है, तो इंसान 46 डिग्री सेल्सियस और 50 फीसदी ह्यूमिडिटी वाली कंडिशन ह्यूमिडिटी वाली कंडिशन में भी मारा जा सकता है. इसकी जांच करने के लिए पेंसिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में कुछ स्वस्थ युवाओं पर तापमान की जांच की गई है. उनके शरीर का कोर टेंपरेचर 30.6 डिग्री सेल्सियस पर ही बिगड़ने लगा था. 35 डिग्री सेल्सियस तक तो जा ही नहीं सकता था.
8/8
हालांकि भारत में ऐसे तापमान की स्थिति बनती जा रही है. वहीं पिछले महीने ही नेचर जर्नल में दक्षिण एशिया के हीटवेव्स और बढ़ते वेट बल्ब टेंपरेचर की घटनाओं का जिक्र है. छोटे बच्चों, बुजुर्गों के लिए यह तापमान बेहद खतरनाक है. बुजुर्गों में पसीने की ग्रंथियां कम हो जाती है. इसलिए उनको ज्यादा खतरा रहता है.
हालांकि भारत में ऐसे तापमान की स्थिति बनती जा रही है. वहीं पिछले महीने ही नेचर जर्नल में दक्षिण एशिया के हीटवेव्स और बढ़ते वेट बल्ब टेंपरेचर की घटनाओं का जिक्र है. छोटे बच्चों, बुजुर्गों के लिए यह तापमान बेहद खतरनाक है. बुजुर्गों में पसीने की ग्रंथियां कम हो जाती है. इसलिए उनको ज्यादा खतरा रहता है.

जनरल नॉलेज फोटो गैलरी

जनरल नॉलेज वेब स्टोरीज

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

America में अनमोल बिश्नोई की गिरफ्तारी, भारत लाने की तैयारी! | ABP NewsChitra Tripathi : ट्रंप की वजह से अदाणी टारगेट ? । Gautam Adani Case ।  Maharashtra Election'The Sabarmati report' पर सियासत तेज, फिल्मी है कहानी या सच की है जुबानी? | Bharat Ki BaatAdani Bribery Case: अदाणी पर अमेरिकी केस की इनसाइड स्टोरी! | ABP News

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
Border Gavaskar Trophy: ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन  के लक्षण और बचाव का तरीका
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन के लक्षण और बचाव का तरीका
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
Embed widget