दुनिया का सबसे खुशहाल इंसान... 12 सालों तक हुई ब्रेन की जांच, नहीं मिल पाई उदासी!
साल 1946 में फ्रांस के सुदूर गांव में जन्में मैथ्यू रिचर्ड के माता-पिता फिलॉसफी पढ़ाते थे. बाकी बच्चों की तरह ही मैथ्यू भी सामान्य स्कूल और कॉलेज में पढ़ा और मॉलिक्यूलर जेनेटिक्स में पीएचडी कर ली.
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View In Appउस दौर में ये बड़ी डिग्री बड़ी नौकरी दिलाने के लिए जरूरत से ज्यादा बढ़िया थी, लेकिन मैथ्यू इससे नाखुश था. मैथ्यू ने खुशी की तलाश में फ्रांस को छोड़ा और वो तिब्बत चले गए.
तिब्बत में वो दलाई लामा के फ्रेंच दुभाषिए के रूप में काम करने लगे. साथ ही मेडिटेशन करना और बौद्ध धर्म से जुड़ी बाकी चीजें सीखना शुरू कर दिया.
समय बीतने के साथ मैथ्यू की खुशी भी बढ़ती चली गई. यहां तक कि उनके पास आने वाले लोग भी खुश रहने लगे.
मैथ्यू खुद भी यह मानने लगे कि उन्होंने हमेशा खुश रहने का तरीका आ चुका है और कोई भी बदलाव उन्हें उदास नहीं करता है.
विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इसकी जांच करनी चाही और वहां के न्यूरोलॉजिस्ट्स ने मैथ्यू के स्कल यानी खोपड़ी पर 256 सेंसर लगाए, ताकि दिमाग के भीतर हो रही पूरी हलचल को मॉनिटर किया जा सके.
12 सालों तक चली इस रिसर्च में दिखा कि जब भी मॉन्क ध्यान करते थे तो उनका मस्तिष्क गामा विकिरणें पैदा करता था. ये किरणें ध्यान और याददाश्त को बढ़ाने में मदद करती हैं.
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