ये जीव रहता है ज्वालामुखी के अंदर, जानिए कैसे रहता है ये जीवित
लेकिन कुछ जीव और जानवर ऐसे होते हैं, जो ज्वालामुखी के पास रहते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर ज्वालामुखी के पास कौन से जीव रहते हैं, उनका जीवन कैसे बचता है.
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View In Appवहीं शोधकर्ताओं का दावा है कि जब दुनिया के सबसे ताकतवर ज्वालामुखी फटते हैं, तो धरती का तापमान बढ़ने के बजाय कम हो जाता है. दरअसल ज्वालामुखी में होने वाले धमाके वैज्ञानिकों को धरती के इतिहास में हुए कूलिंग पीरियड को समझाने में भी मदद करते हैं.
ज्वालामुखी के आस-पास बहुत सारे जीव रहते हैं. लेकिन सामान्य तौर पर यहां वो जीव नहीं दिखते हैं, जो असल में जमीनी या पानी वाले इलाकों में दिखते हैं. इतना ही नहीं ज्वालामुखी फटने के बाद भी बहुत सारे जीवों का जीवन आसानी से यहां पर जीवित रहता है.
जैसे तनजारिया के ओल डोन्यो लेन्गाई ज्वालामुखी के आसपास करीब 20 लाख लेसर फ्लेमिंगो रहते हैं. इनके पंख गुलाबी रंग के होते हैं और स्पिरूलिना नाम की पिगमेंट एल्गी खाते हैं जिससे इनके पंख गुलाबी होते हैं. जिस तालाब में रहते हैं वह दूसरे जानवरों के लिए रहने लायक बिलकुल नहीं है. लकिन लेसर फ्लेमिंगो के पैरों में एक परत उन्हें जलने से बचाती है. वे उबलते पानी में से नमक हटा कर पानी पी सकते हैं.
वहीं पोम्पेई वॉर्म ऐसे जीव हैं जो ज्वालामुखीय द्वार के अंदर ही रहता है. ये दुनिया में सबसे ज्यादा गर्मी झेल पाने वाले जानवर होते हैं. ये 105 डिग्री तक का तापमान झेलने में सक्षम हैं. वैज्ञानिकों को लगता है कि इनके शरीर पर छोटे बाल ज्वालामुखी वेंट के अंदर के गर्म माहौल में गर्मी से बचने में मदद करते हैं. कछुए की तरह ये भी अपना मुह अपने खोल से बाहर निकालते हैं.
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