ये है मौत की झील...यहां रातों-रात हजारों जानें गई थीं
इस झील के आसपास रहने वाले लोगों के अनुसार, इस झील में बुरी आत्माएं वास करती हैं. इसलिए कोई भी सूरज ढलने के बाद इसके करीब नहीं जाता. ये बात तब और फैल गई जब 1986 में इस झील ने 1746 लोगों को अपना शिकार बना लिया.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appअफ्रीका की लोकल भाषा में इसे न्योस झील कहा जाता है. ये झील एक ज्वालामुखी के क्रेटर पर बनी है. इस वजह से इस झील में कार्बन डाइऑक्साइड की ज्यादा मात्रा पाई जाती है.
इस झील में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड मौत की तरह काम करती है. यही कार्बन डाइऑक्साइड ही इसे मौत का झील बनाती है. इस गैस की वजह से एक ही दिन में एक हजार से ज्यादा जान चली गई थी.
दरअसल, 21 अगस्त 1986 को इस झील के अंदर कार्बन डाइऑक्साइड की ढेर सारी मात्रा इकट्ठा हो गई. इसके बाद इस गैस की वजह से एक विस्फोट हुआ और ये गैस झील के आसपास फैल गई.
कहते हैं कि कार्बन डाइऑक्साइड के आसपास फैलने की वजह से 1746 जानें चली गईं. इसके अलावा इस गैस की वजह से साढ़े तीन हजार जानवरों की भी जान चली गई थी.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -