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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
क्या कानून की नजर में लीगल नहीं है मुस्लिम लड़के से हिंदू लड़की की शादी?, क्या कहता है नियम
बता दें कि हिंदू मैरिज एक्ट और मुस्लिम मैरिज एक्ट के तहत शादी करने के लिए वर तथा वधु पक्षों का धर्म एक ही होना जरूरी है. अगर लड़का और लड़की दोनों का धर्म अलग-अलग है, तो पर्सनल लॉ उन्हें शादी करने की इजाजत नहीं देता है.
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View In Appहिंदू मैरिज एक्ट और मुस्लिम मैरेज एक्ट में अगर कोई हिंदू और मुस्लिम कपल इंटरकास्ट मैरेज करना चाहता है, तो उन दोनों में से एक को अपना धर्म छोड़कर दूसरे धर्म को अपनाना होगा. अगर कोई हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़का मुस्लिम मैरिज एक्ट के जरिये आपस में शादी करना चाहते हैं, तो हिंदू को मुस्लिम धर्म अपनाना ही होगा.
भारत में हिंदू-मुस्लिम या किसी दूसरे धर्म में इंटरकास्ट मैरेज करने के लिए स्पेशल मैरिज एक्ट भी है. इस विशेष विवाह अधिनियम के तहत एक कपल बिना धर्म बदले शादी कर सकता है.
लेकिन स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत इंटरकास्ट शादी करने के लिए भी कुछ नियम बने हुए हैं. अगर दोनों में कोई भी पक्ष मानसिक तौर पर शादी के लिए सहमति देने में अक्षम है, तो स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह नहीं हो सकता है.
स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत आवदेन के बाद मैरेज ऑफिसर 30 दिनों के लिए एक नोटिस जारी करता है. इस अवधि में कोई भी व्यक्ति अगर आपत्ति दर्ज करता है, तो विवाह का पंजीयन रद्द हो जाता है.
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