जब अमीरों के कपड़े धोने और दांत साफ करने के लिए किया जाता था पेशाब का इस्तेमाल, सरकार भी वसूला करती थी कर

दरअसल उस समय पेशाब का भी व्यवसायिक इस्तेमाल होता था, ये पेशाब पब्लिक टॉयलेट से ली जाती थी. उस समय पब्लिक शोचालयों से पेशाब निकालकर उसमें से अमोनिया निकाला जाता था.
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उसी अमोनिया का बाद में पाउडर बनाकर इसका इस्तेमाल अमीरों के कपड़े धोने के लिए किया जाता था. कई लोग इस पाउडर से अपने दांत भी साफ किया करते थे.

हालांकि कुछ समय बाद अमोनिया से बना ये डिटर्जेंट बाजार में बेचा जाने लगा, जिसे देखते हुए उस समय के शासक ने पेशाब की ढुलाई पर टैक्स लगा दिया था.
एक बार राजा के बेटे ने पेशाब पर टैक्स लिए जाने को गलत बताया और इसे हटाने के लिए कहा, तब राजा ने अपने बेटे को एक सिक्का दिया और कहा कि क्या तुम्हें इसमें से बदबू आ रही है? उनके बेटे ने कुछ नहीं कहा.
तब राजा ने कहा पैसे से बदबू नहीं आती तो इसे लेने में क्या दिक्कत है. तभी से ये जुमला चल निकला ‘पैसे से बदबू नहीं आती’.
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