कहां से आ रहा इंसानों के शरीर में घुसने वाला माइक्रोप्लास्टिक?
दरअसल साइंस मैगजीन के अनुसार, एक रिसर्च पेपर से पता चला है कि 20 सालों से धीरे-धीरे माइक्रोप्लास्टिक जंगली जानवरों के शरीर और इंसानों के शरीर में कई कण की मौजूदगी पाई गई है.
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View In Appस्टडी के मुताबिक, खान-पान के जरिये माइक्रोप्लास्टिक धीरे-धीरे जानवरों और इंसानों के शरीर में घुस रहा है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि इतनी भारी मात्रा में आखिर माइक्रोप्लास्टिक कहां से आ रहा है. चलिए जानते हैं.
प्लास्टिक की बोतलें और पैकेजिंग: प्लास्टिक की बोतलें, बैग और अन्य पैकेजिंग सामग्री समय के साथ टूटकर माइक्रोप्लास्टिक में बदल जाती हैं .
सौंदर्य उत्पाद: फेस वॉश, बॉडी लोशन, टूथपेस्ट जैसे कई सौंदर्य उत्पादों में माइक्रोप्लास्टिक कण होते हैं.
सिंथेटिक कपड़े: सिंथेटिक कपड़े धोने के दौरान छोटे-छोटे माइक्रोप्लास्टिक रेशे छोड़ते हैं जो पानी के माध्यम से पर्यावरण में पहुंच जाते हैं. इसके अलावा टायरों के घिसने से भी माइक्रोप्लास्टिक उत्पन्न होते हैं. साथ ही कई उद्योगों से निकलने वाले कचरे में माइक्रोप्लास्टिक होते हैं.
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