क्यों नवरात्र में नहीं खाते लहसुन प्याज? जान लीजिए जवाब
अध्यात्म की नजर से देखें तो नवरात्र के दौरान भक्त देवी दुर्गा की आराधना करते हैं, जो कि शक्ति और ऊर्जा की प्रतीक हैं. भक्तों का मानना है कि लहसुन और प्याज का सेवन करने से सत्व गुण कम होते हैं, जिससे मन की शांति और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है.
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View In Appनवरात्र का समय ध्यान, साधना और साधारण जीवन जीने का होता है. लहसुन और प्याज को तामसी भोजन माना जाता है, जो इस अवधि के आध्यात्मिक उद्देश्य के विपरीत है.
इसके अलावा आयुर्वेद और भारतीय दर्शन के अनुसार, भोजन के तीन प्रकार के गुण होते हैं- सत्त्व, रजस और तामस. यह शांति, ऊर्जा और स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है. इसमें फल, सब्जियां, दूध और साबुत अनाज शामिल होते हैं.
साथ ही यह सक्रियता और उत्तेजना को बढ़ावा देता है. इसमें मसालेदार और तीखा भोजन आता है. साथ ही यह आलस्य, उदासीनता और मानसिक विकार पैदा करता है. लहसुन और प्याज इस श्रेणी में आते हैं, इसलिए नवरात्र में इन्हें छोड़ना ज्यादा जरुरी माना जाता है.
नवरात्र के दौरान उपवास के माध्यम से शरीर को detoxify करने का अवसर मिलता है. लहसुन और प्याज का सेवन करने से पाचन क्रिया में परिवर्तन आ सकता है, जिससे उपवास के दौरान समस्या उत्पन्न हो सकती है. इसके बजाय, फल, सब्जियां और अन्य हल्का भोजन उपवास में अधिक उपयुक्त माना जाता है.
भारत में नवरात्र का पर्व परिवार और समाज के साथ एकजुटता का प्रतीक है. लोग इस दौरान एक-दूसरे के साथ उपवास का पालन करते हैं और धार्मिक गतिविधियों में भाग लेते हैं. लहसुन और प्याज का सेवन न करने की परंपरा एक सामाजिक प्रथा है, जो परिवार के सभी सदस्यों के लिए समान है. यह सामूहिकता और एकता को बढ़ावा देता है.
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